शिमला। गेयटी थिएटर में सात दिवसीय रंग षष्ठी हीरक जयंती नाट्य समारोह में शुक्रवार को लैला मजनू नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक एक अनूठी प्रस्तुति है जिसमें लैला मजनू की प्रेम कहानी को एक नई और जीवंत दृष्टि से प्रस्तुत किया गया है। इस नाटक में 7वीं सदी की शुरुआत में मध्य-पूर्व के एक संदर्भ में स्थापित किए गए कथानक में दो युवा प्रेमियों की मर्मस्पर्शी यात्रा को जीवंत किया गया है। नाटक की शुरुआत में दर्शकों को एक दृश्य दिखाया जाता है जिसमें प्रेम के गहरे अर्थ और उसकी जटिलताओं को सामने रखा गया है। यह प्रेम कहानी दिखाती है कि कैसे इन दो युवा प्रेमियों के रिश्ते ने उनके समाज और संस्कृति को प्रभावित किया और कैसे उनकी भावनाओं ने दुनिया को प्रेम और बलिदान का सही अर्थ समझाया। इस नाटक के मुख्य पात्रों में लैला एक कोमल और भावुक महिला तथा मजनू एक दृढ़ निश्चयी और प्रेम के प्रति समर्पित युवक शामिल हैं। लैला के माता-पिता की इच्छा के विपरीत, मजनू अपने प्रेम के लिए किसी भी कठिनाई का सामना करने को तैयार रहता है और इसी संकल्प को निभाते हुए वह अपनी भावनाओं को सभी के सामने प्रदर्शित करता है। लैला और मजनू के बीच यह प्रेम उनके आत्मिक संबंध की गहराई को दर्शाता है। अलग-अलग संस्कृतियों और समाजों में मानवीय भावनाओं की जटिलताओं और गहराइयों को उकेरता यह नाटक दर्शकों को आत्मिक और मानसिक स्तर पर जोड़ता है। प्रेम, त्याग और सामाजिक बंधनों के बीच संघर्ष की यह कहानी कई तरह के प्रश्न खड़े करती है। क्या सच्चे प्रेम की कोई सीमा है, क्या किसी के प्रेम का मूल्य सामाजिक स्वीकृति से अधिक होता है। इस नाटक को देखने के लिए काफी संख्या में स्थानीय लोग व पर्यटक गेयटी थिएटर में मौजूद रहे तथा सभी लोगों ने नाटक की खूब प्रशांसा की।