कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे भूतपूर्व सैनिक स्कूलों में साझा करेंगे अपने अनुभव – अनुपम कश्यप,,कारगिल विजय दिवस की 26 वीं जयंती पर बचत भवन में जिला स्तरीय समारोह का आयोजन

शिमला। कारगिल विजय दिवस की 26 वीं जयंती पर जिला स्तरीय समारोह का आयोजन आज बचत भवन में किया गया जिसमें उपायुक्त अनुपम कश्यप ने सहित अन्य अधिकारियों ने कारगिल युद्ध के शहीदों को पुष्पांजलि अर्पित करके याद किया।
उपायुक्त ने कहा कि स्कूल एडॉप्शन प्रोग्राम के तहत जिला के अधिकारियों ने जिन स्कूलों को गोद लिया है, उनमें कारगिल युद्ध के हिस्सा रहे भूतपूर्व सैनिक अपने युद्ध के अनुभवों को साझा करेंगे ताकि छोटी उम्र में भी स्कूली छात्रों में देशभक्ति की भावना जागृत हो सके। इसके साथ एनकॉर्ड की बैठक में भी पूर्व सैनिकों को शामिल किया जाएगा ताकि युवाओं को नशे से दूर रखते हुए उनकी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाया जा सके।
उपायुक्त ने कहा कि कारगिल युद्ध में शहीद सैनिकों में लगभग 20 फीसदी जवान हिमाचल प्रदेश से सम्बंधित हैं। कठिन परिस्थितियों में हमारे प्रदेश के जवान कभी भी पीछे हटे ही नहीं है और इसी वजह से हिमाचल प्रदेश को वीरभूमि भी कहा जाता है। कारगिल युद्ध के समय हमारे सैनिकों ने बेहद कठिन चुनौतियों का सामना किया। उन्होंने कहा कि सैनिक युद्ध के समय सिर्फ देश के बारे में सोचता है और एक सैनिक का मनोबल हम सब के लिए प्रेरणादायक रहता है। यह मनोबल तभी बनता है जब सैनिक खुद को हर चुनौती में निखारता है। उन्होंने कहा कि सेना की ट्रेनिंग जवानों को मजबूत बनाती है। इसी तरह हर व्यक्ति को खुद को स्वयं मजबूत बनाना होगा ताकि हर चुनौती में हम सफल हो सके।
उन्होंने कहा कि देश के प्रति लोगों के भाव हमेशा सहयोग रहा है। कारगिल युद्ध के समय जहां-जहां से सेना का काफिला गुजरता था तो लोग उनके स्वागत और हौसला बढ़ाने के लिए सड़कों पर खड़े रहते थे। उस समय लोगों ने सेना के साथ स्वयं को खड़ा किया है। सेना की हर भर्ती में हिमाचली युवाओं की संख्या हमेशा अग्रणी रही है।
उपायुक्त ने कारगिल युद्ध में वीर शहीदों की पुनीत स्मृति एवं शौर्य को नमन करने व देश के गौरवमयी इतिहास की रक्षा के लिए समर्पित रहने की शपथ भी दिलाई।

*राष्ट्र प्रथम की भावना सैनिकों की वजह से – संजीव कुमार गांधी*
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक संजीव कुमार गांधी ने कहा कि राष्ट्र प्रथम की भावना सैनिकों की वजह से ही है। हमें अपनी ड्यूटी को हमेशा राष्ट्र प्रथम के हिसाब से निभानी चाहिए। सैनिकों के बलिदान और संघर्ष से राष्ट्र मजबूत हुआ है। आज देश हर क्षेत्र में इसी वजह से विकास कर रहा है क्योंकि सैनिकों ने देश को दुश्मनों से सुरक्षित रखा हुआ है। जब-जब दुश्मन ने भारत की सीमा को लांघने की कोशिश की है तब-तब दुश्मन को सीमा पर सेना द्वारा मुंहतोड़ जवाब दिया गया है।

*बच्चों में देशभक्ति की भावना को विकसित करने के लिए अभिभावक निभाए अग्रणी भूमिका – अभिषेक वर्मा*
अतिरिक्त उपायुक्त अभिषेक वर्मा ने कहा कि सैनिकों के बलिदान को हमेशा याद रखना चाहिए। हमें जीवन का अहम हिस्सा बनाना चाहिए। आज भारत सुरक्षित है तो सिर्फ और सिर्फ सैनिकों की वजह से है। उन्होंने कहा कि बच्चों के अंदर देशभक्ति की भावना को विकसित करने के लिए अभिभावक अग्रणी भूमिका निभाए। कारगिल युद्ध की गौरव गाथा को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाना चाहिए।

*सैनिक परिवारों का हमेशा करना चाहिए सम्मान – ज्योति राणा*
अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी प्रोटोकॉल ज्योति राणा ने कहा कि जिस परिवार का सदस्य सैनिक के तौर पर देश की सेवा कर रहा है, उनका परिवार किस तरह गर्व महसूस करता है वो हमेशा प्रेरणादायक रहता है लेकिन जब कोई सैनिक वीरगति प्राप्त करता है तो फिर परिवार के दुख को महसूस करना आसान नहीं है। हमें सैनिक परिवारों का हमेशा सम्मान करना चाहिए।

*इन्हें किया गया सम्मानित*
कार्यक्रम में जिला शिमला से सम्बंधित 07 पूर्व सैनिकों को सम्मानित किया गया जिसमें सेवानिवृत्त 19 जेएके राइफल्स के सूबेदार मेजर दिवाकर दत्त शर्मा, 19 जेएके राइफल्स के सूबेदार मेजर राम लाल शर्मा, 14 जेएके राइफल्स के सूबेदार वेद प्रकाश शर्मा, 13 जेएके राइफल्स हवलदार राम लाल, 10 जेएके राइफल्स नायक प्रवीण और 14 जेएके राइफल्स नायक जय सिंह शामिल रहे।

इस दौरान स्काई हाई ड्रीम संस्था की अध्यक्ष शालिनी शर्मा ने कारगिल विजय दिवस पर अपने विचार साझा किये और सहायक लोक सम्पर्क अधिकारी शिमला अजय बन्याल ने शहीद बेटे पर आधारित कविता सुनाई। इसके अतिरिक्त, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग जिला शिमला के कलाकारों ने देशभक्ति गीत प्रस्तुत कर कारगिल वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।

उप निदेशक सैनिक कल्याण अतुल चम्बियाल ने स्वागत सम्बोधन तथा सहायक आयुक्त देवी चंद ठाकुर ने धन्यवाद सम्बोधन प्रस्तुत किया।

*यह भी रहे उपस्थित*
इस अवसर पर उपमण्डल दण्डाधिकारी शिमला ग्रामीण मंजीत शर्मा, तहसीलदार शिमला शहरी अपूर्व सहित पूर्व सैनिक तथा अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

*पूर्व सैनिकों ने साझा किए अपने अनुभव*

1. सेवानिवृत्त 19 जेएके राइफल्स के सूबेदार मेजर दिवाकर दत्त शर्मा ने कारगिल युद्ध के लम्हों को कार्यक्रम में साझा करते हुए कहा कि जब युद्ध हो रहा था तो उस समय वह छुट्टी पर थे। घर पर सेना की ओर से पत्र आया और छुट्टी से वापिस बुला लिया गया। वह तुरंत कारगिल के लिए रवाना हो गए। उस समय वहां पर माइनस 30 से 40 डिग्री तक तापमान था। जिन पहाड़ियों पर दुश्मन ने कब्जा किया हुआ था, वो काफी ऊंची थी। उन पर चढ़ना एक दिन में संभव नहीं था। हम रुक-रुक कर पहाड़ी चढ़ते थे। फिर हमने दुश्मन पर पीछे से हमला किया, जिसका इल्म उन्हें जरा भी नहीं था। जब युद्ध के लिए पूरी यूनिट ने मिलकर काम किया तो सबका लक्ष्य सिर्फ एक ही था देश प्रथम है। इसके लिए अपने प्राण भी न्योछावर करने से पीछे नहीं हटे। अंत में हमने युद्ध में विजय हासिल की। हालांकि हमने अपने कई सैनिक इस युद्ध में खोए। मगर जीत का परचम भारतीय सेना ने फहरा दिया।

2. सूबेदार मेजर राम लाल शर्मा ने बताया कि वह अपने भाई (कजिन) दिवाकर दत्त शर्मा के साथ सेना में तैनात थे और दोनों एक जी यूनिट में तैनात थे। युद्ध के समय हौसला टूटने की काफी संभावना रहती है। जब हमारा एक साथ शहीद हो गया तो हमारी यूनिट का हौसला डगमगाने लगा। लेकिन सब ने मिलकर अपने साथियों की शहादत का बदला लेने की मन में ठानी और दुश्मन को करारी शिकस्त दी। उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध के बलिदानियों के संघर्ष को मौजूदा पीढ़ी और आने वाली पीढ़ी को बताया जाए।

3. नायक प्रवीण ने कहा कि 4 मई 1999 को शाम को अचानक से सेना ने आदेश दिया कि द्रास सेक्टर में जाना है। हमें सिर्फ राइफल्स ले जाने के ही आदेश हुए । इसके अलावा कुछ नहीं ले जाने दिया। रात भर सफर करने के बाद अगली सुबह जब हम पहुंचे तो द्रास सेक्टर में गांव खाली हो चुका था। हम सबसे पहले वहां पहुंचे थे और हमने अपनी पोजिशन ले ली थी लेकिन उस समय पाकिस्तानी सेना ने भारी बमबारी शुरू कर दी थी। तीन महीने तक हम नहाए नहीं थे न हमने शेव की थी। हमें खाने में पैक्ड फूड आता था। कई बार बर्फ खा कर ही प्यास बुझानी पड़ती थी। हमारे ग्रुप में से दो जवान शहीद हो गए थे और दो जख्मी हो गए थे। हम शहीदों को रस्सी से बांध कर नीचे भेजना पड़ता था। खाना हमारे लिए रात को आता था। वो समय काफी मुश्किल भरा समय था। टाइगर हिल में वही स्थिति थी हकीकत में जो फिल्म एलओसी में दिखाई गई है। युद्ध में विजय प्राप्त होने के बाद 10 दिन की छुट्टी मिली तो मैं अपने घर जाने के लिए संजौली चौक पर पहुंचा तो स्थानीय लोगों ने मेरा बैंड बाजे के साथ भव्य स्वागत किया।

 

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