हिमाचल में तांडव मचाकर लौटा मानसून, 20 फीसदी अधिक वर्षा, 503 मौतें, हज़ारों बेघर

शिमला, 01 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश में भारी कहर बरपाने वाले दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की विदाई शुरू हो गई। मैदानी क्षेत्रों से मानसून की विदाई हो गई है। अगले दो-तीन दिनों में पूरे प्रदेश में मानसून वापिस हो जाएगा। इस बार मानसून की सामान्य से 20 फीसदी अधिक बारिश हुई है। प्रदेश में मानसून ने चार साल की बारिश का रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस बार मानसून की 884 मिमी वर्षा हुई। इससे पहले वर्ष 2018 में 927 मिमी वर्षा रिकॉर्ड हुई थी। वर्ष 2019 में 686 मिमी, वर्ष 2020 में 567 मिमी, वर्ष 2021 में 688 मिमी और वर्ष 2022 में 716 मिमी वर्षा हुई थी। प्रदेश में इस बार मानसून ने कई जिलों में भारी तांडव मचाया और बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ।
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने रविवार को बताया कि उना, हमीरपुर, बिलासपुर, सोलन, सिरमौर, कांगड़ा, मंडी के अलावा शिमला व चंबा जिलों के कुछ हिस्सों से मानसून पीछे हटना शुरू हो गया है, जबकि अगले 48 से 72 घंटों में राज्य के शेष हिस्सो से भी मानसून की विदाई के लिए परिस्थितियों अनुकूल है।

मानसून से 24 जून को दी थी दस्तक, जुलाई में अत्यधिक वर्षा

प्रदेश में मानसून से 24 जून को दस्तक दी थी। जून से सिंतबर तक मानसून के सक्रिय रहने से 884 मिमी वर्षा रिकार्ड हुई, जबकि इस अवधि में सामान्य वर्षा 734 मिमी मानी जाती है। जुलाई में सबसे अधिक और सितंबर में सबसे कम वर्षा हुई। जून में 121 मिमी, जुलाई में 448 मिमी, अगस्त में 247 मिमी और सितंबर में 69 मिमी वर्षा रिकार्ड की गई। जून में सामान्य से 19 फीसदी और जुलाई में सामान्य से 75 फीसदी अधिक बारिश हुई। जबकि अगस्त में सामान्य से चार फीसदी कम और सितंबर में सामान्य से 42 फीसदी कम वर्षा रिकार्ड की गई। कांगड़ा, हमीरपुर, चंबा, उना, बिलासपुर, सिरमौर और मंडी जिलों में अत्यधिक वर्षा हुई।

मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष मानसून में राज्य में 36वीं बार सबसे अधिक वर्षा हुई है। वर्ष 1901 से 2023 की अवधि में राज्य में वर्ष 1901 में सर्वाधिक 1314 मिमी वर्षा रिकार्ड हुई थी।

आंकड़ों पर नजर डालें तो जून माह में बारिश ने प्रदेश को खूब भिगोया। जून की बारिश ने पांच साल के रिकार्ड को तोड़ दिया। इस बार जून में 121 मिमी वर्षा हुई, इससे पहले वर्ष 2017 में जून में 122 मिमी वर्षा हुई थी। प्रदेश में पहली आपदा जुलाई माह की बारिश की वजह से आई। जुलाई की बारिश ने पिछले सारे रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। जुलाई में प्रदेश में 448 मिमी वर्षा रिकार्ड हुई। इससे पहले वर्ष 2005 में जुलाई में 309 मिमी वर्षा हुई थी। जुलाई माह में आठ से 12 जुलाई तक प्रदेश में काफी अधिक वर्षा हुई। अगस्त में 11 से 14 अगस्त और 23 अगस्त को भी व्यापक वर्षा हुई। सितंबर माह के तीसरे सप्ताह भी कुछ स्थानों पर भारी बारिश हुई।

उना में 24 घंटों की बारिश ने तोड़ा 96 साल का रिकार्ड
मानसून सीजन के दौरान प्रदेश के कुछ स्थानों पर 24 घंटों में मुसलाधार बारिश हुई, जिसने पिछले कई रिकार्ड ध्वस्त कर दिए। मौेसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक जुलाई माह में 24 घंटों की अवधि में उना में 228 मिमी वर्षा का नया रिकार्ड बन गया। इससे पहले उना में 22 जुलाई 1927 को 24 घंटों में 224 मिमी वर्षा हुई थी। इस बार 96 साल बाद यह रिकार्ड टूट गया। इसी तरह सिरमौर जिला के पच्छाद में 24 घंटों में हुई 220 मिमी वर्षा ने 50 साल का रिकार्ड तोड़ दिया।

मानसूनी आपदा से सैंकड़ों मौतें, हजारों बेघर, त्राही माम के हालात


प्रदेश में मानसूनी आपदा ने कई जगह त्राही माम की स्थिति खड़ी कर दी। भूस्खलन, बाढ, बादल फटने की घटनाओं में कई लोगों को लील गया। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक मानसून सीजन में विभिन्न हादसों में 503 लोगों की जान गई। इनमें 147 लोगांे की मौेत भूस्खलन, बाढ व बादल फटने के कारण हुई। जबकि अन्य वर्षा जनित हादसों में 356 लोग मारे गए। मानसून से प्रदेश में 2941 घर पूर्ण रूप से ढह गए, 12302 घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा। इसके अलावा 421 दुकानें, 7247 पशुशालाएं भी ध्वस्त हो गईं। मानसून सीजन के दौरान राज्य के 169 स्थानों पर भूस्खलन हुआ, जबकि 72 स्थानों पर बाढ़ आई। मानसून से राज्य में प्रत्यक्ष तौेर पर 9711 करेाड़ का नुकसान हुआ। कुल्लू, मंडी और कांगड़ा जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई तो शिमला, सोलन और सिरमौर जिलों में भूस्खलन की घटनाओं ने कई परिवारों को मौत की नींद सुला दी। शिमला के शिव बावड़ी मंदिर हादसे में एक परिवार के सात सदस्यों समेत 20 लोग मारे गए। इस तरह सोलन में मकान ढहने से एक परिवार के पांच सदस्यों की मौेत हुई।
सीएम को लाना पड़ा 3500 करोड़ का विशेष आर्थिक राहत पैकेज
प्रदेश में हुई तबाही को देखते हुए राज्य सरकार ने प्रदेश को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित किया। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बड़ा दिल दिखाते हुए आपदा प्रभावितों के पुर्नरूत्थान व पुर्नवास के लिए 3500 करोड़ के विशेष आर्थिक राहत पैेकेज का ऐलान किया। राज्य सरकार का दावा है कि मानसून से इतना अधिक नुकसान हिमाचल में पहली बार हुआ है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *