शिमला, 27 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के जनजातीय क्षेत्र पांगी घाटी की ग्राम पंचायत फिन्डरू की महिलाओं ने पांगी घाटी के धरोहर पौधे थांगी को बचाने के लिए एक अनोखे अभियान की शुरुआत की l
महिलाओं ने ना केवल शपथ ली बल्कि स्वयं सेवी संगठन सेवा के साथ मिलकर राजकीय उच्च विद्यालय फिन्ड्ररु में करीब 500 थांगी के पौधे भी रोपित कर यह स्पष्ट कर दिया की वन संपदा को बचाने के लिए जनजातीय समुदाय समुदाय कितना संवेदन्शील है l
दरअसल थांगी पौधे ने क्षेत्र की आर्थिकी में सदियों से अहम रोल निभाया है। यह एक नेचुरल पौधा है जो अब भारतवर्ष के पांगी में बहुतायत रूप में पाया जाता है और सदियों से यहां के बाशिंदे इसका दोहन कर रहे हैं। इसके फल जोकि पकने के बाद जमीन पर गिर जाता है और उसे क्षेत्र का हर आदमी औरत बच्चे तक इकठ्ठे करते है और उन फलों को बेचने के बाद परिवार के हर सदस्य के हाथ अपनी कलेक्शन के हिसाब से पैसा आता है। इससे क्षेत्र की महिलाएं इस में अग्रणी भूमिका निभाती हैं।
पांगी में कई सालों से सेवा कार्य में जुटी सेवा संस्था के संस्थापक डॉक्टर हरीश शर्मा ने बताया कि उन्होंने क्षेत्र में थांगी के पौधों के पौधरोपण की सोची और दो साल पहले थांगी की नर्सरी तैयार करने पर विचार किया। मौसम की विपरीत परिस्थियों में यहां नर्सरी तैयार की और उसके बाद लोगों को कुछ पौधे लगाने के लिए भी दिए मगर पौधरोपण की धीमी गति को देखते हुए उन्होंने ने एक मैगा प्लांटेशन ड्राइव चलाने की आज से शुरुआत की और हर वर्ग को इस अभियान से जोड़ा ।
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम की शुरुआत एक शपथ से हुई जिसमें सबसे पहले करीब 50 महिलाओं, स्वयं सेबियों, ग्रामीणों तथा स्कूल के बच्चों ने शपथ ली तथा 500 थांगी के पौधे भी रोपित किए l