शिमला की हेरिटेज इमारत टाउन हॉल में फूड कोर्ट चलाने पर हाईकोर्ट की रोक

शिमला, 10 जनवरी। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राजधानी शिमला के मॉल रोड स्थित हेरिटेज टाउन हॉल की इमारत में फूड कोर्ट के जरिए व्यवसायीकरण पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने बुधवार को अंतरिम आदेश पारित करते हुए टाउन हॉल में फूड कोर्ट के संचालन पर रोक के अंतरिम आदेश पारित किए। हाईकोर्ट ने नगर निगम शिमला के आयुक्त को आदेश की अनुपालन करने के आदेश दिए हैं। मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी।
 
अभिमन्यु राठौर द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने यह आदेश दिए।
हिमाचल सरकार के महाधिवक्ता अनूप रत्न ने बताया कि हाईकोर्ट ने टाउन हॉल में हाई एंड कैफे खोलने के निर्देश दिए थे। लेकिन आज की सुनवाई में हाईकोर्ट के आदेश आए कि टाउन हॉल में हाई एंड कैफे की जगह फूड कोर्ट खोला गया है। हाईकोर्ट को लगा कि फूड कोर्ट खोलकर प्रथम दृष्टया हेरिटेज ढांचे से छेड़छाड़ है। उन्होने कहा कि हाईकार्ट ने इस फूड कोर्ट के संचालन पर आगामी आदेशों तक रोक लगा दी है। साथ ही हेरिटेज कमेटी को सभी तथ्यों को खंगालने और टाउन हाल के इतिहास के मददेनजर एक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल याचिका में आरोप लगाया गया है कि नगर निगम शिमला ने प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958ए टीसीपी अधिनियम का उल्लंघन करते हुए इस विरासत संपत्ति को हाई एंड कैफे में बदलने की अनुमति दी है। आरोप है कि नगर निगम शिमला ने हेरिटेज टाउन हॉल के ग्राउंड फ्लोर पर हाई एंड रेस्तरां चलाने के लिए लीज पर देने के लिए वर्ष 2020 में टेंडर प्रक्रिया जारी की थी। जब नगर निगम शिमला को उपयुक्त बोलीदाता नहीं मिल पाए तो निविदा नोटिस जारी करने की जिम्मेदारी हिमाचल प्रदेश इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट बोर्ड (एचपीआईडीबी) को सौंपने का फैसला किया गया था।

इसके बाद एचपीआईडीबी ने 26 फरवरी, 2022 को एक निविदा नोटिस जारी किया था। याचिका में आरोप लगाया गया है कि निजी संचालक ठेकेदार इस हेरिटेज बिल्डिंग में हाई एंड कैफे बना कर हेरिटेज बिल्डिंग मानदंडों का उल्लंघन कर रहा है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से सरकार को विरासत भवन को कानून के अनुसार उसके मूल स्वरूप और आकार में बहाल करने और सबसे उपयुक्त तरीके से इसका उपयोग करने का निर्देश देने का आग्रह किया है। प्रार्थी ने कोर्ट से राज्य सरकार को दोषी अधिकारियों के खिलाफ उचित विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्देश देने का आग्रह भी किया है, जो अनधिकृत आंतरिक निर्माण और संशोधन की निगरानी और सत्यापन करने में विफल रहे, जिससे विरासत भवन की प्रकृति बदल गई।

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