शिमला, 24 जनवरी। हिमाचल प्रदेश में लगभग 25 दवा उद्योग में बने 40 दवाइयां के सैंपल फेल हुए हैं। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के मानकों पर इन दवाइयों के सैंपल फेल हुए हैं। प्रदेश के अंदर फार्मा उद्योगों के दवाइयों के सैंपल फेल होने का यह मामला पहला मामला नहीं है। राज्य सरकार इस मसले पर गंभीर नजर आ रही है।
बुधवार को शिमला में स्वास्थ्य मंत्री कर्नल डॉक्टर
धनीराम शांडिल ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा कि दवाइयां के सैंपल फेल होने से प्रदेश की छवि पर बुरा असर पड़ता है। इस तरह के मामलों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उद्योगों पर एक्शन लिया जाएगा।
धनीराम शांडिल ने कहा कि प्रदेश के बद्दी फार्मा क्षेत्र की कुछ कंपनियों के दवाइयां के सैंपल फेल हुए हैं। उन्होंने कहा कि इन सभी कंपनियों को नोटिस भेज दिए गए हैं। इस पर विभाग तफ़्तीश से कार्रवाई करेगा।
धनीराम शांडिल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश दवाइयां का निर्यात भी करता है लेकिन इस तरह के प्रकरणों से प्रदेश और प्रदेश के फार्मा उद्योग पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि ऐसे में दवाइयों के सैम्पल फेल होने वाले फार्मा उद्योगों को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा। पहले भी विभाग की ओर से सैंपल फेल होने पर लाइसेंस रद्द करने के कदम उठाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी दवाइयां की जांच होगी जिसमें कोई भी कमी पाई जाती है या सभी मानकों को पूरा नहीं करती है तो उसे भी तुरंत प्रभाव से खारिज कर दिया जाएगा।
एनपीए को लेकर प्रदेश के सरकारी चिकित्सालय में डॉक्टर के चल रहे विरोध पर स्वास्थ्य मंत्री धनीराम शांडिल ने कहा कि चिकित्सकों को दिए जाने वाले नपा को बंद नहीं किया गया है इस पर महेश कुछ समय की रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए और भारी आपदा के चलते एनपीए रोका गया। प्रदेश में चिकित्सकों को एनपीए दिया जाना है।