बीबीएन की फार्मा कम्पनियों में एक वर्ष में 374 दवाओं के सैंपल हुए फेल

शिमला, 27 फरवरी। स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा है कि पिछले एक वर्ष में बीबीएन क्षेत्र में 374 दवाओं के सैंपल फेल हुए हैं। जिनके सैंपल फेल हुए हैं, उनके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की गई है और कुछ को ब्लैक लिस्ट भी किया गया है। उन्होंने कहा कि कई इकाइयों को शोकॉज नोटिस भी दिए हैं। उन्होंने कहा कि दवा की गुणवत्ता जांचने को अल्ट्रा मॉडर्न लैब को जल्द लोकार्पण किया जाएगा। इसका निर्माण 32 करोड़ रुपए की लागत से किया जा रहा है। वे मंगलवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान विधायक केवल सिंह पठानिया और विपिन सिंह परमार के मूल और विधायक डॉ. जनक राज के अनुपूरक सवाल का जवाब दे रहे थे।

कर्नल धनीराम शांडिल ने कहा कि दवाईयों की गुणवता जांच के लिए औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम,1940 में निहित प्रावधानों अनुसार समय-समय पर दवा निरीक्षकों द्वारा सैम्पल/नमूने लिए जाते हैं तथा इनकी गुणवता की जांच के लिए प्रदेश में स्थिति संयुक्त परीक्षण प्रयोगशाला, कण्डाघाट के साथ प्रदेश सरकार द्वारा अधिकृत क्षेत्रीय परीक्षण प्रयोगशाला चंडीगढ़ में इन नमूनों की जांच की जाती है। उन्होंने कहा कि यदि दवा के सैंपल की रिपोर्ट निर्धारित मानकों के विरुद्ध आती है तो उनके खिलाफ औषधि एवं प्रसाधन अधिनियम,1940 के प्रावधानों अनुसार कार्रवाई की जाती है।

विधायक केवल सिंह पठानिया ने कहा कि बार-बार दवाओं के सैंपल फेल होने की सूचनाएंं आ रही हैं और निकट भविष्य में ऐसा न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं। वहीं, विधायक विपिन सिंह परमार ने सवाल किया कि बीबीएन में फार्मास्यूटिकल हब में कितने दवा के सैंपल फेल हुए। उन्होंने पूछा कि दवा की गुणवत्ता को जांचने के लिए क्या अल्ट्रा मॉडर्न लैब स्थापित की जा रही है। विधायक डॉ. जनक राज ने सवाल किया कि दवा के सैंपल जांचने की क्या प्रक्रिया है। उन्होंने कहा कि ड्रग कंट्रोलर का पद कब तक भरा जाएगा। साथ ही कहा कि जिस कंपनी का दवा सैंपल फेल होता है, वह कंपनी फिर दूसरे नाम से लाइसेंस लेकर काम शुरू कर देती है।

इस पर स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कुल 677 दवा उद्योग हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा भारत सरकार की सहायता से बद्दी में दवा परीक्षण प्रयोगशाला का निर्माण किया जा रहा है ताकि अधिक संख्या में दवा के सैंपलों की जांच की जा सके और प्रदेश में किसी भी प्रकार की घटिया दवा के निर्माण और वितरण पर पूर्ण रूप से अंकुश लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि विभाग में 39 औषधि निरीक्षक हैं जो इन विनिर्माण इकाइयों, बिक्री परिसरों और सरकारी अस्पतालों का निरीक्षण कर रहे हैं। फिर भी यदि कोई इकाई इस अधिनियम का उल्लंघन करती है तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाती है।

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