राज्यपाल मुख्य अतिथि के तौर पर हुए शामिल, वैज्ञानिकों को किया सम्मानित
राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि बदलते जलवायु परिवर्तन के दृष्टिगत किसानों के लिए आय के वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध करवाए जाने चाहिए। उन्होंने प्रदेश में आलू पर आधारित उद्योग स्थापित करने की आवश्यकता पर बल दिया।
राज्यपाल आज यहां शिमला स्थित केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के 76वें स्थापना दिवस पर बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। स्थापना दिवस की बधाई देते हुए उन्होंने कहा कि देश की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बागवानी फसलों का विविधीकरण और उपयोग महत्वपूर्ण रणनीति साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि आलू भारत की प्रमुख सब्जी फसल है जो कुल सब्जी उत्पादन में लगभग 28 प्रतिशत का योगदान देता है।
राज्यपाल ने कहा कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक है, जिसका वैश्विक आलू उत्पादन का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2022-23 के दौरान भारत, आलू और इसके उत्पादों के निर्यात मूल्य में 20 अरब रुपये से अधिक की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में आलू की खेती 19वीं सदी के मध्य से हो रही है। उन्होंने कहा कि आलू का अच्छी गुणवत्ता वाला रोगमुक्त बीज हमारे उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में पैदा होता है और इस बीज की मांग पूरे भारत में रहती है।
राज्यपाल ने कहा कि हिमाचल में लगभग 14000 हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की खेती होती है, जिससे लगभग दो लाख टन का उत्पादन होता है। यह राष्ट्रीय औसत से कम है लेकिन गुणवत्ता में अच्छा और बेजोड़ होने के कारण यह किसानों को अच्छी आय दिलाने में मदद करता है। उन्होंने कुफरी हिमालिनी, कुफरी गिरधारी और कुफरी करण जैसी झुलसा रोग प्रतिरोधी आलू की किस्में विकसित करने पर संस्थान को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हिमाचल में पर्यटन और सेब आर्थिकी महत्वपूर्ण है। लेकिन, आलू पर आधारित आर्थिकी से प्रदेश के किसानों को लाभ हो सकता है।
उन्होंने कि इस संस्थान द्वारा किए गए शोध कार्यों और तकनीकों के कारण आज भारत विश्व के प्रमुख आलू उत्पादक देशों की सूची में चीन के बाद दूसरे स्थान पर है। उन्होंने कहा कि पिछले सात दशकों के दौरान आलू के क्षेत्र एवं उत्पादन में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। जहाँ 1949-50 में आलू का क्षेत्रफल 2.34 लाख हेक्टेयर तथा उत्पादन 1.54 मिलियन टन था, वहीं वर्ष 2023-24 के दौरान यह बढ़कर क्रमशः 22.5 लाख हेक्टेयर तथा लगभग 56 मिलियन टन हो गया है, जो संस्थान द्वारा किये गये शोध कार्य की प्रामाणिकता को सिद्ध करता है।
उन्होंने संस्थान द्वारा लगभग 70 से अधिक किस्में विकसित करने तथा वायरस मुक्त बीज आलू के उत्पादन के लिए एरोपोनिक विधि विकसित करने पर बधाई दी। उन्होंने प्रजातियों और तकनीकों की भौतिक संपदा के संरक्षण के लिए संस्थान के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने संस्थान द्वारा 25 से ज्यादा पेटेंट हासिल करने पर भी बधाई दी। उन्होंने पिछले कुछ सालों में प्रदेश में आलू के प्रति किसानों का रुझान कम होने पर चिंता जताई तथा वैज्ञानिकों से शोध के माध्यम से इससे जुड़ी विभिन्न समस्याओं का पता लगाने का आग्रह किया।
राज्यपाल ने इस अवसर पर आई.सी.ए.आर.-सीपीआरआई शिमला के उत्कृष्ट कर्मियों को पुरस्कृत किया। उन्होंने संस्थान के कर्मचारियों को उत्तर भारत खेल प्रतियोगिता पुरस्कार भी प्रदान किया। उन्होंने किसानों को इस अवसर पर कृषि उपकरण वितरित किए।
इस अवसर पर, शिमला नगर निगम के महापौर श्री सुरेंद्र चौहान ने संस्थान के 76वें स्थापना दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि यह संस्थान शिमला में है। उन्होंने संस्थान के माध्यम से आलू उत्पादन और उससे संबंधित उत्पाद विकसित करने की तकनीक उपलब्ध करवाकर ग्रामीण आर्थिकी को सुदृढ़ करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि इससे रोजगार के अवसर पर उपलब्ध होंगे।
कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष डॉ संजय कुमार ने राज्यपाल का स्वागत किया। उन्होंने खाद्य एवं आर्थिक सुरक्षा की दिशा में संस्थान द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भविष्य में इथेनॉल ब्लैंडिंग में आलू की उपयोगिता अधिक है तथा सर्कुलर एवं बायो इकोनामी में अधिक महत्वपूर्ण है। उन्होंने आलू उद्योग के कार्यों को मिशन मोड में करने पर बल दिया।
इससे पूर्व, आईसीएआर-केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के निदेशक डॉ. ब्रजेश सिंह ने राज्यपाल का स्वागत किया और उन्हें सम्मानित किया। उन्होंने संस्थान की उपलब्धियों से राज्यपाल को अवगत करवाया।
सामाजिक विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. आलोक कुमार ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के वैज्ञानिक, प्रगतिशील किसान और ऑकलैंड स्कूल की छात्राएं भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।