शिमला, 26 मार्च। बीते कुछ समय से लोगों में आध्यात्म की भावना बढ़ रही है। वे शांति और मनोकामनाओं की प्राप्ति के लिए देवस्थलों पर पहुंच रहे हैं लेकिन ये भी समझना होगा कि तीर्थाटन का अर्थ केवल पर्यटन नहीं है। यदि देवस्थलों के आसपास पर्यटक स्थलों जैसी गंदगी और अव्यवस्था फैलती है तो ये कैदारनाथ जैसी त्रासदी को भी निमंत्रण दे सकती है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक व उत्तर क्षेत्र के शारीरिक शिक्षण प्रमुख संजीवन कुमार ने ये विचार शिमला में आयोजित मातृवन्दना विशेषांक ‘हिमाचल के देवस्थल एवं तीर्थाटन’ एवं दिनदर्शिका के विमोचन कार्यक्रम में रखे।
उन्होंने चैत्र मास के शुक्ल प्रतिपदा को भारत वर्ष में नववर्ष के रूप में मनाने की परम्परा की भी जानकारी दी। साथ ही इस दिन हुई ऐतिहासिक घटनाओं के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि भारतीय समाज को नीचा दिखाने के लिए जो झूठ रूपी कालिख बिखेरी गई है उसे तथ्यों व शोध के आधार पर लोगों के मन और विचारों से साफ करना होगा। उन्होंने शक्तिपीठों की तरह देवस्थलों को भी आमजन के दर्शनार्थ खोलने का आह्वान किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि साईं इंजीनियरिंग के संस्थापक सदस्य राजकुमार वर्मा ने कहा कि हिमाचल के देवस्थल एवं तीर्थाटन पर प्रकाशित मातृवन्दना का ये विशेषांक व दिनदर्शिका हमें अपने बच्चों को अवश्य पढ़ाना चाहिए, जिससे वे अपनी संस्कृति से जुडे़ंगे।
कार्यक्रम अध्यक्ष व केन्द्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड की सदस्य भारती कुठियाला ने कहा कि जिस तरह विशेषांक के माध्यम से मातृवन्दना संस्थान ने हिमाचल के देवस्थलों को तीर्थाटन से जोड़ा है उसी तरह यहां की संस्कृति का प्रतीक नाट्य कला जैसे किरयाला को भी पर्यटन से जोड़ने की आवश्कता है।
इस अवसर पर मातृवन्दना संस्थान शिमला द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका मातृवन्दना के विशेषांक ‘हिमाचल के देवस्थल एवं तीर्थाटन’ एवं दिनदर्शिका का विमोचन किया गया। पत्रिका के संपादक डॉ. दयानन्द शर्मा ने विशेषांक का परिचय दिया। कार्यक्रम का प्रारंभ सरस्वती वंदना पर सरस्वती विद्यामंदिर विकासनगर के विद्यार्थियों के साथ हुआ। मातृवन्दना के सचिव वासुदेव शर्मा ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया।
मातृवन्दना संस्थान के अध्यक्ष अजय सूद ने उपस्थित अतिथियों का धन्यवाद किया। इस दौरान मंच का संचालन मातृवन्दना संपादकीय मंडल के सदस्य डॉ. उमेश मौदगिल, डॉ. सपना चंदेल व नीतू वर्मा ने किया। कार्यक्रम में कई गणमान्य जन उपस्थित रहे। समापन वन्देमातरम के साथ किया गया।
मातृवन्दना को बहुमूल्य लेखकीय सहयोग और सदस्यता अभियान में अतुलनीय सहयोग के लिए इस अवसर पर सम्मानित किया गया। लेखकीय सहयोग के लिए कुमारसैन से हितेन्द्र शर्मा, हिमेन्द्र बाली, कुमारहट्टी से अवनीश वर्मा, शिमला से उमा ठाकुर, बिलासपुर से कवि रविन्द्र शर्मा को सम्मानित किया गया। वहीं अधिकतम सदस्यता के लिए सुन्नी से जोगिन्द्र, भूदेव, शिमला से पृथ्वी ठाकुर, हमीरपुर से हेमा चौधरी को सम्मानित किया गया।