नई दिल्ली, 01 अप्रैल। देश में 38,992 जलाशय अतिक्रमण के शिकार हैं, जिनमें बड़ी संख्या ऐसे जलाशयों की है, जिन्हें लगभग पूरी तरह हड़प लिया गया है। पहली बार जलाशयों के अतिक्रमण की सही-सही संख्या की यह जानकारी एक सरकारी रिपोर्ट में सामने आई है। अतिक्रमण के शिकार जलाशयों में ज्यादातर गांवों में हैं।
देश में जलाशयों की पहली गणना के मुताबिक, गांवों में 37007 जलाशयों पर अतिक्रमण है, जबकि शहरी क्षेत्र में 1784 जलाशय ऐसे हैं जो अवैध कब्जों के शिकार हैं। रिपोर्ट के अनुसार, गांवों और शहरी क्षेत्रों में जो जलाशय अतिक्रमण के शिकार हैं, वे देश में मौजूद कुल 24,24,540 जलाशयों का 1.6 प्रतिशत हैं। जिन जलाशयों पर अतिक्रमण किया गया है, उनमें 62 प्रतिशत ऐसे हैं जिनका 25 प्रतिशत हिस्सा अतिक्रमण का शिकार है, जबकि 11.8 प्रतिशत लगभग 75 प्रतिशत अवैध कब्जे के शिकार हैं। इसका मतलब है कि 46 सौ से अधिक जलाशय लगभग पूरी तरह अतिक्रमण के शिकार हो गए हैं।
पहली जलाशय गणना रिपोर्ट के अनुसार कुल जलाशयों में 97.1 प्रतिशत यानी 23,55,055 ग्रामीण और केवल 2.9 प्रतिशत यानी 69,485 शहरी क्षेत्रों में हैं। जिन राज्यों में जलाशय सबसे अधिक अतिक्रमण के शिकार हैं, उनमें तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, बिहार, पंजाब, झारखंड शामिल हैं। पिछले साल इसी संदर्भ में जलशक्ति राज्य मंत्री बीरेश्वर टुडू ने राज्यसभा में बताया था कि जलाशयों को अतिक्रमण के शिकार होने से रोकना संबंधित राज्यों का दायित्व है। इस बारे में उन्हें समय-समय पर परामर्श दिए जाते रहे हैं।
जलाशयों की गणना के प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार 22 राज्यों में 18691 जलाशयों के अतिक्रमण की बात सामने आई थी। रिपोर्ट के अनुसार, देश के कुल जलाशयों में 83.7 प्रतिशत (20,30,040) इस्तेमाल में हैं, जबकि 16.3 प्रतिशत (3,94,500) सूख जाने, निर्माण गतिविधियों, सिल्ट जमा हो जाने, पुनरुद्धार की संभावना समाप्त होने या अन्य कारणों से उपयोग के काबिल नहीं रह गए हैं।