
पैल लैब्स लैब स्थापित करने पर विचार कर रहा हिमाचलः राजेश शर्मा
शिमला। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार को लेकर हिप्पा ( Himachal Pradesh Institute of Public Administration) शिमला में एक कार्यशाला आयोजित की जा रही है। समग्र शिक्षा और हिप्पा के संयुक्त तत्वाधान “क्वालिटी एजुकेशन इन हिमाचल” विषय पर हो रही इस कार्यशाला के दूसरे दिन शिक्षा सचिव राकेश कंवर, समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा, हिप्पा के अतिरिक्त निदेशक प्रशांत सरकैक, एनसीईआरटी की प्रो. संध्या विशेष तौर पर मौजूद रहीं। इस दौरान शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए स्कूलों की क्लस्टरिंग करने, अपना विद्यालय योजना जैसे विभिन्न फैसलों के बारे में बताया। समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल की उपयोगिता पर बताया।
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने कहा कि प्रदेश सरकार ने स्कूलों की क्लस्टरिंग का फैसला संसाधनों को साझा करने के मकसद से किया है, जिससे इनका इस्तेमाल बच्चों के हित में हो। उन्होंने साफ किया कि इस फैसले से स्कूलों में न तो किसी की पोस्ट खत्म होगी और न ही किसी की प्रमोशन रूकेगी। क्लस्टर सिस्टम लागू करने का मकसद यही है कि हम बच्चों के लिए कैसे बेहतर कर सकते हैं। हालांकि कई स्कूलों में कुछ शिक्षक पहले से ही यह काम कर रहे है। सरकार द्वारा लिखित निर्देश जारी के पीछे मंशा केवल यही है कि इस तरह के शिक्षकों को ऐसा महौल मिले कि वे अपना कार्य निर्बाध रूप से कर सके। शिक्षा सचिव ने यह भी साफ किया है कि इन निर्देशों में यह कहा गया है कि जहां तक संभव हो, वहां क्लस्टर बनाकर स्कूल अपने संसाधनों को शेयर करें। उन्होंने कहा कि ऐसा कर सरकार ने एक सिस्टम बनाने की कोशिश की ताकि प्राइमरी और सेकेंडरी स्कूलों के बीच संसाधनों के इस्तेमाल को लेकर कोई दिक्कत न हो।
स्कूलों की मदद करने के लिए अपना विद्यालय योजना लागू की
शिक्षा सचिव ने कहा कि सरकार ने अपना विद्यालय योजना भी लागू की है। इसका मकसद यह है कि गोद लेने वाले लोग स्कूलों की जरूरतों को पूरा करने में मदद कर पाएं। लोग व्यक्गित तौर पर या संस्था के तौर पर भी शैक्षणिक और गैर शिक्षण कार्यों में स्कूलों की मदद कर सकते हैं। हालांकि शिक्षण जैसे कार्यों में बाहरी लोगों की मदद लेना स्कूल प्रमुखों पर निर्भर करता है। इस दौरान शिक्षकों ने सरकार के स्कूलों की क्लस्टरिंग करने और स्कूलों में लोगों की स्वैच्छिक मदद लेने की योजना के अच्छे परिणामों के बारे में भी बताया।
शिक्षक एक स्कूल लीडर के तौर पर महसूस करें
शिक्षा सचिव ने कहा कि शिक्षक चाहे तो वे बहुत कुछ कर सकते है। शिक्षक चाहे तो सच में अपने स्तर पर बहुत बड़े बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने शिक्षकों का आवाहन किया है कि वे अपने स्कूलों में एक लीडर के तौर पर काम करें। अपने स्कूल के लिए जरूरी फैसले लें। स्कूलों में दी गई चीजों का पूरा इस्तेमाल करें।
सभी एसोसिएशन बैठक कर प्रस्ताव तैयार करें
शिक्षा सचिव राकेश कंवर ने शिक्षा विभाग में शिक्षकों के विभिन्न संगठनों का भी आवाहन किया कि वे सभी मिलकर बैठक करें और उसमें शिक्षा में बेहतरी के सुझावों पर एक ड्राफ्ट तैयार करें। विभाग इन पर विचार विमर्श कर फैसला लेगा।
पैल लैब्स लैब स्थापित करने पर विचार कर रहा हिमाचलः राजेश शर्मा
समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि हिमाचल स्कूली शिक्षा में तकनीक का बखूबी इस्तेमाल कर रहा है। उन्होंने कहा कि तकनीक की मदद से बच्चों के सीखने की क्षमता को बढ़ाया जा रहा है। यही नहीं हिमाचल अस्समेंट में भी तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है।
राजेश शर्मा ने कहा कि समग्र शिक्षा प्रदेश में पैल लैब्स (PAL- Personalized Adaptive Learning Lab ) स्थापित करने पर विचार कर रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में पैल लैब्स सफलतापूर्वक स्कूलों में लागू की गई हैं। वहां इसके बेहतर रिजल्ट भी देखे जा रहे हैं। ऐसे में हिमाचल भी इस दिशा में विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पैल लैब्स स्थापित करने के लिए प्रपोजल तैयार कर नीति आयोग के समक्ष रखा जाएगा। उन्होंने कहा कि पैल लैब एक ऐसा टूल है, जिसके माध्यम से एक क्लास में हर बच्चे के सीखने की अलग अलग क्षमता का आकलन किया जा सकता है। किसी भी कक्षा में हर बच्चे के सीखने का स्तर अलग अलग होता। आमतौर पर हर प्रत्येक बच्चे की कमजोरी और ताकत ( weakness and strength) का पता लगाना शिक्षक के लिए आसान नहीं होता है जबकि पैल लैब के माध्यम से यह सब आसानी से किया जा सकता है। इतना ही नहीं, इसकी मदद से कमजोर बच्चे को सुधारा भी जा सकता है। इस तरह शिक्षकों को इसमें मशक्कत नहीं करनी पड़ती, शिक्षक की जगह तकनीक ही यह काम करती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में पहले से कई स्कूलों में आईसीटी लैब है, वहां इन लैब को भी स्थापित किया जा सकता है।
राजेश शर्मा ने कहा कि कार्यशाला में चर्चा के दौरान कई बातें सामने आई हैं कि किस तरह शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के नेतृत्व और शिक्षा सचिव राकेश कंवर के विजन से हिमाचल में स्कूली शिक्षा में बदलाव करने की दिशा में काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला में मंथन से कई ऐसी बातें निकलेंगी जो कि शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने में सहायक होंगी।
पूर्व केंद्रीय शिक्षा सचिव अनिल स्वरूप ने हिमाचल की तारीफ
कार्यशाला में आए पूर्व केंद्रीय सचिव अनिल स्वरूप ने शिक्षा की गुणवत्ता पर आयोजित इस कार्यशाला के आयोजन के लिए शिक्षा मंत्री की खूब तारीफ की है। अनिल स्वरूप ने कहा कि इस आयोजन में सरकार की शिक्षा की गुणवत्ता को लेकर प्रतिबद्धता दिखी। अनिल स्वरूप ने कहा, भारत सरकार के स्कूली शिक्षा सचिव के रूप में मैंने हिमाचल में किए जा रहे कुछ उत्कृष्ट कार्यों को देखा था। यह छह साल से अधिक समय पहले की बात है। इस कार्यशाला में यह जानकर खुशी हुई कि युवा शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर के प्रेरणादायक नेतृत्व में हिमाचल आज भविष्य की ओर देख रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल सरकार ने पहले ही कुछ कठिन, मगर उपयोगी फैसले लिए हैं, जिनका उल्लेख शिक्षा मंत्री ने अपनी स्पीच में किया। इसके दूरगामी परिणाम होंगे। पूर्व केंद्रीय शिक्षा सचिव ने कहा, मैंने भी स्कूल शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए गैर-सरकारी संगठनों के साथ और अधिक गहन सहयोग सहित कई अन्य सुझाव साझा किए हैं।
कार्यशाला में एनसीईआरटी की प्रो. संध्या ने बच्चों के लर्निंग लेवल में सुधार और उनके स्वास्थ्य एवं कल्याण पर अपनी प्रेजेंटेशन दी। वहीं कान्विजीनियस के शशांक पांडे ने शिक्षा में तकनीक के इस्तेमाल पर अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने बताया कि हिमाचल में स्कूली शिक्षा में तकनीक काफी इस्तेमाल होनाे लगा है जिसका एक उदाहरण विद्या समीक्षा केंद्र है। हिमाचल में असेस्मेंट में भी तनकीक का बखूबी इस्तेमाल किया गया है। समग्र शिक्षा में क्वालिटी एजुकेशन की कोर्डिनेटर मंजुला शर्मा ने कहा कि विभिन्न समूहों के माध्यम से आए सुझावों का एक डाक्यूमेंट तैयार कर इसको सरकार को सौंपा जाएगा।