काजा, 16 अप्रैल। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू स्पिति घाटी, जिसे ‘लामाओं की भूमि’ भी कहा जाता है, में अपने तीन दिवसीय प्रवास के दौरान लामाओं से जुड़े और यहां की अनूठी संस्कृति एवं परम्पराओं के प्रति गहरी रूचि दिखाई। उन्होंने मठों की विभिन्न मांगों को पूरा भी किया।
स्पिति घाटी की महिलाओं को एक महत्वपूर्ण तोहफा देते हुए मुख्यमंत्री ने स्पिति घाटी की 18 वर्ष से अधिक आयु की सभी महिलाओं को आगामी जून माह से 1500 रुपये प्रतिमाह पेंशन प्रदान करने की घोषणा की। इससे घाटी की बौद्ध भिक्षुणी ‘छोमो’ भी इससे लाभान्वित होंगी।
मुख्यमंत्री ने की-गोम्पा में अपने सम्बोधन में कहा कि हिमाचल दिवस के अवसर पर राज्य सरकार ने स्पिति घाटी की छोमो सहित सभी महिलाओं को 1500 रुपये प्रतिमाह पेंशन का एक बड़ा तोहफा दिया है, जिससे इन महिलाओं में आत्म-सम्मान की भावना और मजबूत होगी।
प्रवास के प्रथम दिन सगनम हेलीपैड पर उतरने के बाद मुख्यमंत्री ने कुंगरी, ढंखर, काजा और की मठों में पूजा-अर्चना की और बौद्ध धर्म की परंपराओं और इतिहास को नजदीक से जाना व समझा।
मुख्यमंत्री बनने के बाद स्पिति घाटी के अपने पहले प्रवास में सुखविंदर सिंह सुक्खू का लामाओं द्वारा पारंपरिक परिधान भेंट कर स्वागत किया गया।
मुख्यमंत्री ने घाटी के विभिन्न मठों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा भी की। मुख्यमंत्री ने कुंगरी गोम्पा को 50 लाख रुपये देने तथा ढंखर गोम्पा के लिए छात्रावास निर्माण और पेयजल योजना की घोषणा की। इसके अतिरिक्त, उन्होंने की-गोम्पा के ध्यान केंद्र को स्तरोन्नत करने का भी आश्वासन दिया, जिसके लिए सरकार द्वारा समुचित धनराशि उपलब्ध करवाई जाएगी।
प्रवास के दौरान स्पिति घाटी के विभिन्न संगठनों ने मुख्यमंत्री से भेंट की और उन्हें अपनी विभिन्न मांगों से अवगत करवाया। मुख्यमंत्री ने चिचम में एशिया के सबसे ऊंचे पुल का निरीक्षण भी किया। स्थानीय लोगों की मांग पर उन्होंने चिचम गांव के लिए पेयजल योजना के निर्माण पर विचार करने का वादा किया।
स्पिति घाटी में किसी भी मुख्यमंत्री के सबसे लम्बे प्रवास से स्थानीय लोगों में हर्ष एवं उत्साह साफ दिखा और ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के सरल व मिलनसार व्यक्तित्व से हर कोई प्रभावित नजर आया। घाटी के मठों के प्रति उनकी अगाध श्रद्धा और घाटी की महिलाओं को पेंशन के रूप में सम्मान राशि की घोषणा की विभिन्न वर्गों ने सराहना की।