शिमला। हिमाचल प्रदेश बिजली बोर्ड कर्मचारी,अभियंता और पेंशनर्स के जॉइंट फ्रंट ने सुक्खू सरकार के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ने का मन बना लिया है। शिमला में हुई ज्वाइंट फ्रंट की बैठक में मुख्य छ मांगों OPS, छंटनी, आउटसोर्स पर भर्ती,75 चालकों की सेवाएं समाप्त करने, पेंशनरों के वित्तीय देनदारियों को न देने को लेकर सुक्खू सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है जिसका आगाज 11 फरवरी को हमीरपुर जिला में महा पंचायत से होगा और बाद में सभी जिलों में आंदोलन को तेज किया जाएगा।
ज्वाइंट फ्रंट के सह संयोजक हीरा लाल वर्मा ने शिमला में कहा कि राज्य सरकार बिजली बोर्ड को प्रयोगशाला बना कर रख दिया है।कभी सब कमेटी बिजली बोर्ड पर प्रयोग करती है, तो कभी राज्य सरकार कमरे में बैठकर ही बिजली बोर्ड के लिए नीति बना लेती है। अब बिजली बोर्ड को रेशनलाइजेशन के नाम पर खत्म करने का काम किया जा रहा है। कर्मचारी रेशनलाइजेशन के विरोध में नहीं है, बल्कि वे चाहते हैं कि सभी के साथ बैठकर इसका फैसला हो। कमरे में बैठकर इस तरह के फैसले नहीं लिए जा सकते। बिजली बोर्ड के 700 पदों को खत्म किया गया है।मुख्यमंत्री की ओर से भी इसकी अनुमति दे दी गई है। बिजली बोर्ड को बैक गियर में डाल दिया गया है। बिजली बोर्ड में नई भर्ती नहीं की जा रही है।राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि बिजली बोर्ड में आउटसोर्स के आधार पर भर्ती हो।हीरालाल वर्मा ने कहा कि बिजली बोर्ड को नुकसान में दिखाने की कोशिश की जा रही है, जबकि बिजली बोर्ड नुकसान में नहीं है। 178 करोड़ रुपए अलग-अलग सरकारी महकमो की ओर से बिजली बोर्ड को भुगतान किया जाना है।आने वाले वक्त में ज्वाइंट फ्रंट बड़े आंदोलन से पीछे नहीं हटेगा।