नई दिल्ली, 14 मई। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। दरअसल, कर्नाटक ही दक्षिण भारत का एकमात्र ऐसा राज्य था, जिसने सबसे पहले भाजपा के लिए अपने दरवाजे खोले थे। इस बार भी पार्टी दावा कर रही थी कि उसे राज्य में पहली बार पूर्ण बहुमत मिलेगा।
भगवा पार्टी के लिए प्रवेश द्वार था कर्नाटक
भगवा पार्टी को उम्मीद थी कि वो कर्नाटक के जरिए दक्षिण भारत के राज्यों में अपना विस्तार कर सकेगी। पार्टी के लिए कर्नाटक को दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार माना जाता था, लेकिन इस बीच चुनाव के नतीजों ने पार्टी को बड़ा झटका दिया है।
पार्टी के लिए ‘मिशन साउथ’ को सफल बनाना बेहद जरूरी
इस साल के अंत में तेलंगाना में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकारों ने सोचा था कि यदि कर्नाटक में भाजपा को पूर्ण बहुमत प्राप्त होता है, तो तेलंगाना में पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा और मतदाताओं को साथ लाने में मदद मिलेगी। इसी कारण से कर्नाटक चुनाव प्रचार के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के नेताओं से कहा था कि पार्टी के ‘मिशन साउथ’ को सफल बनाने के लिए कर्नाटक चुनाव जीतना बेहद जरूरी है।
दक्षिण राज्य के सांसदों की आगामी लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका
कर्नाटक में भाजपा की हार आगामी लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के लिए एक चुनौती बन सकती है। दरअसल, दक्षिण के पांच राज्यों कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और तेलंगाना की 2024 के लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका है। इन पांच राज्यों में लोकसभा की कुल 129 सीटें हैं, तो ऐसे में अगली सरकार बनाने में इन सांसदों की भूमिका काफी अहम होने वाली है।