हमारे लिए, ईस्ट का अर्थ है- सशक्त बनाना, कार्य करना, मजबूत बनाना और बदलाव लाना: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट 2025 का उद्घाटन किया। प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों का हार्दिक स्वागत करते हुए पूर्वोत्तर क्षेत्र के भविष्य पर गर्व,  उत्साह और अपार विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने भारत मंडपम में हाल ही में आयोजित अष्टलक्ष्मी महोत्सव का स्मरण करते हुए इस बात पर बल दिया कि आज का कार्यक्रम पूर्वोत्तर में निवेश का उत्सव है। प्रधानमंत्री ने शिखर सम्मेलन में उद्योग जगत प्रमुखों की महत्वपूर्ण उपस्थिति का उल्लेख करते हुए क्षेत्र में अवसरों को लेकर उनके उत्साह पर चर्चा की। प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रालयों और राज्य सरकारों को बधाई देते हुए निवेश के अनुकूल माहौल बनाने में उनके प्रयासों की सराहना की। अपनी शुभकामनाएं देते हुए प्रधानमंत्री ने राइजिंग नॉर्थ ईस्ट इन्वेस्टर्स समिट की प्रशंसा करते हुए क्षेत्र के निरंतर विकास और समृद्धि की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।

मोदी ने दुनिया के सबसे विविधतापूर्ण राष्ट्र के रूप में भारत की स्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर हमारे विविधतापूर्ण राष्ट्र का सबसे विविध क्षेत्र है। उन्होंने व्यापार, परंपरा, वस्त्र और पर्यटन में व्याप्त संभावनाओं पर बल देते हुए कहा कि इस क्षेत्र की विविधता इसकी सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर एक संपन्न जैव-अर्थव्यवस्था, बांस उद्योग, चाय उत्पादन और पेट्रोलियम तथा खेल और कौशल के साथ-साथ इको-टूरिज्म के लिए एक उभरते हुए केंद्र का पर्याय है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह क्षेत्र न केवल जैविक उत्पादों का मार्ग प्रशस्त कर रहा है बल्कि ऊर्जा के एक पावरहाउस के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है। उन्होंने पुष्टि की कि पूर्वोत्तर अष्टलक्ष्मी का सार है, जो समृद्धि और अवसर लाता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस शक्ति के साथ, हर पूर्वोत्तर राज्य निवेश और नेतृत्व के लिए अपनी तत्परता की घोषणा कर रहा है।

विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में पूर्वी भारत की महत्वपूर्ण भूमिका पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर को इसका सबसे महत्वपूर्ण घटक बताया। उन्होंने कहा कि हमारे लिए, पूर्वी क्षेत्र सिर्फ एक दिशा नहीं है, बल्कि एक दृष्टि है और इसे सशक्त बनाना, इसके लिए कार्य करना, इसे मजबूत बनाना और इसमें बदलाव लाना, इस क्षेत्र के लिए नीतिगत रूपरेखा को परिभाषित करता है। उन्होंने इस बात पर बल दिया कि इस दृष्टिकोण ने पूर्वी भारत, विशेष रूप से पूर्वोत्तर को भारत के विकास पथ के केंद्र में रखा है।

प्रधानमंत्री ने पिछले 11 वर्षों में पूर्वोत्तर में हुए परिवर्तनकारी बदलावों का उल्लेख करते हुए कहा कि प्रगति केवल आंकड़ों में नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी दिख रही है। उन्होंने कहा कि सरकार का इस क्षेत्र के साथ जुड़ाव नीतिगत उपायों से कहीं आगे बढ़कर लोगों के साथ दिल से जुड़ाव को बढ़ावा देता है। प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर में केंद्रीय मंत्रियों द्वारा की गई 700 से अधिक यात्राओं को रेखांकित किया, जो इस भूमि को समझने, लोगों की आंखों में दिखने वाली आकांक्षाओं को महसूस करने और उस विश्वास को विकास नीतियों में बदलने की उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि बुनियादी ढांचा परियोजनाएं केवल ईंट और सीमेंट के बारे में नहीं हैं, बल्कि भावनात्मक जुड़ाव का एक साधन भी हैं। उन्होंने लुक ईस्ट से एक्ट ईस्ट में बदलाव की पुष्टि करते हुए कहा कि इस सक्रिय दृष्टिकोण के स्पष्ट परिणाम मिल रहे हैं। उन्होंने कहा, कभी पूर्वोत्तर को केवल एक सीमावर्ती क्षेत्र माना जाता था, अब यह भारत की विकास गाथा में अग्रणी के रूप में उभर रहा है।

पर्यटन क्षेत्र को आकर्षक बनाने और निवेशकों के बीच विश्वास पैदा करने में मजबूत बुनियादी ढांचे की अहम भूमिका को रेखांकित करते हुए  मोदी ने कहा कि अच्छी तरह से विकसित सड़कें, बिजली का बुनियादी ढांचा और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क किसी भी उद्योग का आधार बनते हैं, जो निर्बाध व्यापार और आर्थिक विकास को सुविधाजनक बनाते हैं। उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचा विकास की नींव है और सरकार ने पूर्वोत्तर में बुनियादी ढांचे की क्रांति का शुभारंभ किया है। उन्होंने क्षेत्र की पिछली चुनौतियों को स्वीकार करते हुए कहा कि यह अब अवसरों की भूमि के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग और असम में भूपेन हजारिका पुल जैसी परियोजनाओं का उदाहरण देते हुए कनेक्टिविटी बढ़ाने में हजारों करोड़ रुपये का निवेश किया गया है।  मोदी ने पिछले दशक में 11,000 किलोमीटर राजमार्गों के निर्माण, व्यापक नई रेलवे लाइनों, हवाई अड्डों की संख्या में दोगुनी वृद्धि, ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों पर जलमार्गों के विकास और सैकड़ों मोबाइल टावरों की स्थापना सहित प्रमुख प्रगति का भी उल्लेख किया। उन्होंने उद्योगों के लिए एक विश्वसनीय ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 1,600 किलोमीटर लंबे पूर्वोत्तर गैस ग्रिड की स्थापना का भी उल्लेख किया। श्री मोदी ने कहा कि राजमार्ग, रेलवे, जलमार्ग और डिजिटल कनेक्टिविटी पूर्वोत्तर के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रहे हैं,  जिससे उद्योगों के लिए फ़र्स्ट मूवर एडवांटेज (किसी बाजार में सबसे पहले प्रवेश करने वाली कंपनी को होने वाले लाभ) को हासिल करने के लिए लाभकारी आधार तैयार हो रहा है। उन्होंने पुष्टि की कि अगले दशक में,  इस क्षेत्र की व्यापार क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने बताया कि आसियान के साथ भारत का व्यापार वर्तमान में लगभग 125 बिलियन डॉलर है और आने वाले वर्षों में इसके 200 बिलियन डॉलर से अधिक होने की उम्मीद है, जिससे पूर्वोत्तर एक रणनीतिक व्यापार सेतु और आसियान बाजारों के लिए प्रवेश द्वार बन जाएगा। उन्होंने क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में तेज़ी लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। थाईलैंड, वियतनाम और लाओस के साथ भारत की कनेक्टिविटी मजबूत बनाने से जुड़ी म्यांमार से थाईलैंड तक सीधी पहुंच प्रदान करने वाली महत्वपूर्ण मार्ग परियोजना, भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग के महत्व पर बल देते हुए मोदी ने कलादान मल्टीमॉडल ट्रांजिट परियोजना में तेज़ी लाने के लिए सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया। यह कोलकाता बंदरगाह को म्यांमार के सित्तवे बंदरगाह से जोड़ेगा और मिज़ोरम के माध्यम से एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से पश्चिम बंगाल और मिजोरम के बीच यात्रा की दूरी काफी कम हो जाएगी तथा व्यापार और औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।

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