4724 स्कूलों के 5.92 लाख से अधिक विद्यार्थियों के लिए कराया गया लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम असेसमेंट
शिमला. शिक्षा क्षेत्र में सुधार की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए समग्र शिक्षा ने कक्षा 6 से 12 तक के छात्रों के लिए राज्य का अब तक का सबसे बड़ा ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (OCR) आधारित लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम (LEP) डायग्नोस्टिक असेसमेंट सफलतापूर्वक आयोजित किया। यह मूल्यांकन 28 से 31 मई के बीच प्रदेश के 4724 सरकारी स्कूलों में लगभग 5.92 लाख छात्रों की भागीदारी के साथ संपन्न हुआ।
यह मूल्यांकन छात्रों की वास्तविक शैक्षणिक स्थिति को समझने और उन्हें उनकी आवश्यकतानुसार शैक्षणिक सहायता प्रदान करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। हिंदी, अंग्रेज़ी, गणित और विज्ञान जैसे विषयों में हुए इस आकलन को राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 (NCF 2023) के अनुरूप डिज़ाइन किया गया था, ताकि छात्रों की विश्लेषण क्षमता और गहरी समझ का सटीक मूल्यांकन किया जा सके।
समग्र शिक्षा निदेशक राजेश शर्मा ने कहा कि समग्र शिक्षा ने हिमाचल का अब तक का सबसे बड़ा OCR (ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन) आधारित लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम (LEP) डायग्नोस्टिक असेसमेंट सफलतापूर्वक आयोजित किया है। उन्होंने इसके लिए लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम कोर्डिनेटर सहित अन्यों को बधाई दी है। असेसमेंट में 4724 स्कूलों के करीब छह लाख बच्चे शामिल हुए हैं। उन्होंने कहा कि समग्र शिक्षा के लिए यह अससेटमेंट बहुत अहम है क्योंकि इसके माध्यम से हमें बच्चों के लर्निंग लेवल का पता चलेगा और इसके अनुसार प्रत्येक बच्चे के लिए लिए व्यक्तिगत स्तर पर पुनः शिक्षा (Remediation) दी जा सकेगी। उन्होंने भरोसा जताया कि असेसमेंट छात्रों के लर्निंग आउटकम में व्यापक बदलाव लाएगा।
ओसीआर तकनीक लागू करने में समग्र शिक्षा अग्रणी
इस मूल्यांकन की विशेषता यह रही कि यह पूरी तरह OCR तकनीक पर आधारित था। इसमें छात्र विशेष OCR शीट पर उत्तर भरते हैं और शिक्षक SwiftChat मोबाइल ऐप के माध्यम से उन्हें स्कैन करते हैं। स्कैन करते ही सभी उत्तर डिजिटल प्रणाली में दर्ज हो जाते हैं, जिससे मूल्यांकन प्रक्रिया अधिक पारदर्शी, त्वरित और सटीक हो जाती है।
इस डायग्नोस्टिक असेसमेंट के आधार पर प्रत्येक छात्र के सीखने के स्तर का विस्तृत डेटा तैयार किया जा रहा है। इस डेटा के आधार पर व्यक्तिगत रिपोर्ट कार्ड, वर्कबुक्स और विषयवार लर्निंग कंटेंट विकसित किए जाएंगे।
समग्र शिक्षा की क्वालिटी कोऑर्डिनेटर (सेकेंडरी) सोनिया शर्मा ने बताया कि यह असेस्टमेंट छात्रों की वास्तविक अवधारणाओं और अधिगम अंतराल को समझने में बेहद प्रभावी सिद्ध होगी। इससे शिक्षकों को न केवल अपनी शिक्षण रणनीतियों को सुधारने में मदद मिलेगी, बल्कि छात्रों को भी अपनी कमज़ोरियों को पहचानने और सुधारने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से शैक्षणिक रूप से सबसे कमजोर 25 प्रतिशत छात्रों की पहचान की जाएगी, जिन्हें उनके प्रदर्शन के अनुरूप पुनः शिक्षा (Remediation) प्रदान की जाएगी। वहीं, शेष 75 प्रतिशत छात्रों के लिए सामान्य हार्ड स्पॉट आधारित वर्कबुक्स तैयार की जा रही हैं ताकि उनकी क्षमता के अनुसार उन्हें मार्गदर्शन मिल सके।
क्वालिटी कोऑर्डिनेटर (प्राइमरी) डॉ. मंजुला शर्मा ने कहा कि लर्निंग एनहांसमेंट प्रोग्राम का उद्देश्य विद्यालयों में शैक्षणिक प्रदर्शन, विद्यार्थियों की भागीदारी और समग्र शैक्षणिक अनुभव को बेहतर बनाना है। यह कार्यक्रम प्रत्येक छात्र की आवश्यकता और क्षमता के अनुसार शिक्षण को अनुकूलित करता है। उन्होंने यह भी कहा कि लर्निंग एनवायरनमेंट इनिशिएटिव को सही रूप में लागू करने से स्कूलों में एक ऐसा समावेशी, सहायक और प्रभावी अधिगम वातावरण तैयार किया जा सकता है जो विद्यार्थियों को केवल शैक्षणिक सफलता ही नहीं, बल्कि जीवन के अन्य क्षेत्रों में भी आगे बढ़ने के लिए सक्षम बनाता है।