शिमला, 22 मई। हिमाचल प्रदेश में जीएसटी की टैक्स चोरी पर लगाम लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल होगा। इसके लिए राज्य सरकार के निर्देश पर राज्य कर एवं आबकारी विभाग ने तैयारी पूरी कर ली है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) का मकसद जीएसटी से जुड़े राजस्व नुकसान को कम करना है।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा है कि राज्य कर एवं आबकारी विभाग द्वारा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की तकनीक को अपनाने से सटीक डेटा तैयार करने, कर धोखाधड़ी का पता लगाने और उसकी रोकथाम में मदद मिलेगी। उन्होंने आशा जताई कि इस परियोजना के कार्यान्वित होने से प्रदेश के वार्षिक राजस्व में 250 करोड़ रुपये की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी होगी।
उन्होंने कहा कि सीमित श्रम शक्ति के दृष्टिगत कर हानि की पहचान करने के लिए करदाताओं के आंकड़ों का तुरंत विश्लेषण करने की एक महत्वपूर्ण चुनौती विभाग के समक्ष आयी है। एआई प्रौद्योगिकी उपयोग से इस चुनौती से निपटने की योजना तैयार की गई है। इससे कर चोरी के मामलों की त्वरित पहचान करने तथा राज्य के जीएसटी राजस्व को बढ़ाने के लिए सटीक जानकारी भी उपलब्ध होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि परियोजना विभागीय अधिकारियों की क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ राजस्व में वृद्धि के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान करने में सक्षम बनाएगी। उन्होंने कहा कि एआई प्रौद्योगिकी के कार्यान्वयन से विभाग को मौजूदा चुनौतियों से और अधिक कुशलता से निपटने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि एआई को अपनाने और उन्नत डेटा विश्लेषण तकनीकों को शामिल करके, राज्य कर एवं आबकारी विभाग राजस्व संग्रह बढ़ाने, कर चोरी से निपटने और निर्णय लेने की प्रक्रिया को कारगर बनाने में और अधिक सक्षम होगा। आधुनिक तकनीकों को नियोजित कर राज्य सरकार के इस तरह के प्रयास सरकारी कार्यों में दक्षता और पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।