शिमला, 28 मई। मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को कांगड़ा जिला के धर्मशाला में आयोजित पुरानी पेंशन बहाली आभार समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि राज्य सरकार ने लगभग डेढ़ लाख कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ दिया है।
उन्होंने एलान किया कि हिमाचल प्रदेश राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने के साथ-साथ कॉरपोरेशन के कर्मचारियों को भी पुरानी पेंशन स्कीम के तहत लाया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों से आगामी लड़ाई के लिए तैयार रहने की अपील करते हुए कहा कि केंद्र के पास फंसे पैसे वापस लाने के लिए कर्मचारियों को राज्य सरकार का सहयोग करना होगा।
उन्होंने कहा कि वह स्वयं सरकारी कर्मचारी के पुत्र हैं और कर्मचारियों की दर्द को अच्छी तरह से जानते हैं, इसलिए उनके आत्म-सम्मान को अधिमान देते हुए मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में पुरानी पेंशन को बहाल किया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कर्मचारियों ने विकास की गाथा लिखी है और राज्य सरकार उनके योगदान की भरपूर सराहना करती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार के पास एनपीएस का पैसा फंसा है, लेकिन तमाम चुनौतियों के बावजूद प्रदेश सरकार हर हाल में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन का लाभ देगी। उन्होंने कहा कि नीति आयोग की बैठक में उन्होंने एनपीएस का 9242.60 करोड़ रुपये वापिस करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इस मामले को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से उठाया जाएगा और कर्मचारियों के सहयोग से अपना हक वापस लेकर रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 11 दिसम्बर, 2022 को कांग्रेस सरकार बनी, तब अधिकारियों ने बताया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति विकट हैे, इसलिए राज्य सरकार वित्तीय अनुशासन के साथ आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश कभी भी कर्ज के सहारे नहीं चल सकता है। इसलिए सरकार राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए दिन-रात काम कर रही है। उन्होंने कहा कि हिमाचल के प्रत्येक निवासी पर 92 हजार रुपये से अधिक का कर्ज है, लेकिन वर्तमान राज्य सरकार आने वाले चार वर्षों में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर ले आएगी। राज्य सरकार का पहला बजट इस दिशा में उठाया गया पहला कदम है। राज्य के आर्थिक संसाधन बढ़ाने के लिए सरकार लगातार कोशिश कर रही है। वाटर सेस लगाया गया है तथा बिजली परियोजनाओं के निर्माण कार्य में तेजी लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं में देरी से हिमाचल प्रदेश को नुकसान होता है, इसलिए कर्मचारियों को कार्य की गति तेज करनी होगी।
उन्होंने कहा कि आने वाले दो वर्षों में हिमाचल प्रदेश दूसरे राज्यों से बिजली खरीदने की प्रथा बंद कर देगा। उन्होंने कहा कि बजट में राज्य सरकार ने कई ग्रीन इनिशिएटिव भी लिए हैं। ग्रीन हाईड्रोजन के दोहन के साथ-साथ ई-वाहनों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। तीन वर्षों में एचआरटीसी की सभी डीजल बसों को ई-बसों में परिवर्तित किया जाएगा।