शिमला। अंतरराष्ट्रीय आध्यात्मिक संस्था आर्ट ऑफ लिविंग की शिमला इकाई द्वारा गुरुपूर्णिमा के शुभ अवसर पर राम मंदिर, शिमला में एक भव्य सत्संग का आयोजन किया गया। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी आयोजित इस कार्यक्रम में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह का अद्भुत संगम देखने को मिला।
गुरु पूजा से हुई सत्संग की शुरुआत
सत्संग का शुभारंभ गुरु पूजा से हुआ, जिसमें चंदन, धूप, दीप और नैवेद्य के साथ श्रद्धालुओं ने श्री श्री रविशंकर जी को कृतज्ञता अर्पित की। पूजा के पश्चात सत्संग टीम ने एक के बाद एक गुरु को समर्पित भजनों की प्रस्तुति दी। इनमें “गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः…”, “गुरु मेरी पूजा, गुरु गोविंदा…” जैसे भजनों ने पूरे वातावरण को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर दिया।
गुरु पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व
आर्ट ऑफ लिविंग की प्रदेश मीडिया प्रभारी तृप्ता शर्मा ने बताया कि “गुरु” शब्द का अर्थ है—‘गु’ यानी अंधकार और ‘रु’ यानी प्रकाश। जो गुरु अपने शिष्य को अज्ञानता के अंधकार से निकालकर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाते हैं, वही सच्चे गुरु होते हैं।
उन्होंने कहा कि “आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाने वाला यह पर्व गुरु के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करने का दिन है। इस दिन शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं और उनके द्वारा प्रदान किए गए मंत्रों का जप करते हैं।”
कैनेडा से गुरुदेव श्री श्री रविशंकर का संदेश
इस समय कैनेडा के बून आश्रम में प्रवास कर रहे गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी ने अपने संदेश में कहा, “गुरुपूर्णिमा भक्तों का दिन होता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु को धन्यवाद देते हैं और जीवन में प्राप्त ज्ञान के लिए आभार व्यक्त करते हैं।”
11 जुलाई से प्रदेश भर में रुद्राभिषेक व रुद्रपूजा
तृप्ता शर्मा ने जानकारी दी कि 11 जुलाई से 31 जुलाई तक पूरे प्रदेश में रुद्राभिषेक व रुद्रपूजा का आयोजन किया जाएगा। इसकी शुरुआत शिमला के संजौली क्षेत्र से होगी।
इन आयोजनों के लिए बैंगलोर आश्रम से साध्वी आनंद भारती व विशेष वेदपाठी पंडितगण हिमाचल प्रदेश दौरे पर रहेंगे। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं से इन पूजाओं में भाग लेकर जन व विश्व कल्याण में अपनी भागीदारी सुनिश्चित करने की अपील की।
गुरु पूर्णिमा ने जगाई भक्ति व साधना की भावना
गुरु पूर्णिमा के इस आयोजन ने प्रदेश में भक्ति और साधना का वातावरण बना दिया। श्रद्धालुओं ने अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त कर आध्यात्मिक ऊर्जा से स्वयं को संपन्न किया।