शिमला की रीता ठाकुर ने पेश की इंसानियत की मिसाल, असहाय मनोरोगी महिला को पहुंचाया अस्पताल

शिमला, 02 जुलाई। राजधानी शिमला की सड़कों पर भटकती असहाय मनोरोगी महिला का रेस्क्यू किया गया है। महिला मानसिक रूप से बीमार थी और पिछले लंबे समय से उपनगर टूटू में लाचार अवस्था में रह रही थी।

नेपाली मूल की यह 26 वर्षीय महिला अपने पिता के साथ टूटू में एक अस्थायी जगह रह रही थी। शनिवार को उसके पिता की मृत्यु हो गई। पिता की मौत के बाद महिला की देखभाल करने वाला कोई नहीं था।

समरहिल के चायली गांव की रहने वाली रीता ठाकुर ने इस महिला के रेस्क्यू का बीड़ा उठाया और पुलिस व प्रशासन की मदद से उसे उपचार हेतु अस्पताल पहुंचाया। एसडीएम ग्रामीण की अनुमति के बाद इस महिला को मानसिक रोग स्वास्थ्य एवं पुनर्वास अस्पताल बालूगंज में भर्ती किया गया। यहां महिला का उपचार होगा और इसके बाद उसे बेसहारा महिलाओं के संरक्षण वाले किसी आश्रम में भेजा जाएगा।

रीता ठाकुर ने बताया कि यह महिला टूटू कस्बे में लंबे समय से देखी जा रही थी और इसकी दिमागी हालत ठीक नहीं थी। एसडीएम ग्रामीण से अनुमति मिलने के बाद महिला को पुलिस की मदद से पहले उपचार के लिए आईजीएमसी ले जाया गया। जहां से इस महिला को मानसिक पुनर्वास केंद्र अस्पताल में भर्ती किया गया है। रीता ठाकुर ठियोग सिविल अस्पताल में काउंसलर के पद पर कार्यरत है। उक्त मनोरोगी महिला के रेस्क्यू में रीता ठाकुर के अलावा वन स्टॉप सेंटर मशोबरा में कार्यरत नीतू शर्मा, मज्याठ वार्ड के पूर्व पार्षद दिवाकर देव शर्मा और स्थानीय पुलिस का भी सहयोग रहा।

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