हिमाचल सरकार की केंद्र से 12 हजार करोड़ के विशेष आपदा राहत पैकेज की मांग, विधानसभा में प्रस्ताव पारित

शिमला, 20 सितंबर। हिमाचल प्रदेश में मानसून सीजन में हुई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने संबंधी प्रस्ताव बुधवार को सदन में ध्वनिमत से पारित किया गया। इस दौरान विपक्षी सदस्य भी सदन में मौजूद रहे। इस प्रस्ताव में केंद्र सरकार से प्रदेश के लिए 12 हजार करोड़ के विशेष राहत पैकेज की मांग की गई है। राज्य सरकार की ओर से बीते सोमवार को यह प्रस्ताव सदन में प्रस्तुत किया गया था। इस प्रस्ताव पर तीन दिन चली चर्चा के जवाब में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश में आई इस त्रासदी से जान-माल का भारी नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को मानसून से अभूतपूर्व त्रासदी का सामना करना पड़ा है और केंद्र सरकार इसे राष्टीय आपदा मानते हुए 12 हजार करोड़ का विशेष पैकेज प्रदान करे। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से विशेष पैकेज घोषित करवाने में मदद करने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अति वर्षा और बादल फटने के कारण प्रदेश में आपदा आई और इस त्रासदी से निपटने में प्रदेश सरकार पूरी तत्परता से काम कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में मानसून सीजन के दौरान दो बार आपदा आई है। आपदा से प्रदेश में 441 लोगों की मौत हुई और 39 लापता हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के जख्मों को भरने में कई वर्ष लग जाएंगे और बुनियादों ढाचों के पुर्ननिर्माण व पीड़ितो को राहत दिलाने में सरकार पूरी गंभीर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली आपदा 7 से 11 जुलाई को सामान्य से 436 फीसदी अधिक बारिश ने आपदा का रूप लिया। इसके बाद 11 से 14 अगस्त तक सामान्य के मुकाबले 107 मिमी अधिक बारिश हुई। मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसून सीजन में एक दिन में सबसे ज्यादा 51 लोगों की जान गई।

मुख्यमंत्री ने कहा कि इस आपदा की वजह से प्रदेश के सार्वजनिक बुनियादे ढांचे को 12 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है। इस त्रासदी से पर्यटन उद्योग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है तथा पर्यटक हिमाचल का रूख करने से डर गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के कारण प्रदेश के राजस्व को भारी नुकसान हुआ है। दो माह में जीएसटी व बैट के कारण एक हजार करोड़ का नुकसान का अनुमान है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा से हिमाचल में 2621 से अधिक घर पूरी तरह धराशायी हूए जबकि 12 हजार से अधिक घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा। इसके अलावा 318 दुकानें, 540 घराट और 591 पशुशालाएं भी ध्वस्त हुई हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में भूस्खलन से 19 पुल बह गए जबकि 97 पुल क्षतिग्रस्त हुए। मुख्यमंत्री ने चर्चा के जवाब में कहा कि प्रदेश सरकार ने आपदा से राहत के लिए 500 करोड़ जारी किए है। इनमें उपायुक्तों को 285 करोड़ और विभिन्न विभागों को 245 करोड़ जारी किए गए हैं।  इसके अलावा राज्य सरकार ने प्रभावितों को विभिन्न मदों में दी जाने वाली राहत राशि में भी बढ़ोतरी की है। इसके तहत आंशिक तौर पर क्षतिग्रस्त कच्चे मकान को मिलने वाली राहत राशि को चार हजार से बढ़ाकर एक लाख और आंशिक क्षतिग्रस्त पक्के मकानों को मिलने वाली छह हजार की राशि को बढ़ाकर एक लाख रूपये किया गया है। मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के पंडोह, पौंग और पार्वती-दो बांध प्रबंधकों को अपने बांधों में अर्ली अलार्म सिस्टम स्थापित नहीं करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं। प्रदेश में भूस्खलन के कारणों को खंगालने के लिए आईआईटी मंडी और सीयू सहित अन्य बड़े संस्थानों को जिम्मा सौंपा गया है। भूस्खलन व आपदों की घटनाओं में प्रदेश सरकार आईआईटी मंडी के सुझावों पर काम करेगी।

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