शिमला, 21 सितंबर। हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र के चौथे दिन ठेकेदारों के लंबित भुगतान का मामला गुंजा। इसको लेकर सत्ता पक्ष विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने वित्तीय वर्ष 2022-23 की अंतिम तिमाही में सरकार ने विभिन्न विभागों के बजट में कटौती का मदवार ब्यौरा मांगा था। इस पर मुख्यमंत्री ने सदन में अपना जवाब दिया। मुख्यमंत्री के जवाब पर विपक्ष भड़क गया। इस दौरान सत्ता पक्ष व विपक्षी सदस्यों के बीच तीखी नोंकझोंक हुई। विधायकों ने पहले सदन में हंगामा किया और इसके बाद वे सदन से उठकर बाहर चले गए। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि विपक्ष का सदन से बाहर जान गैर जरूरी है।
विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि राज्य लोक निर्माण विभाग व जल शक्ति विभाग में कई ठेकेदारों के लंबित भुगतान नहीं हो रहे हैं। करोड़ों की देनदारियां ठेकेदारों की लंबित है।इसके जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी भी ठेकेदार की पेमेंट नहीं रोकी गई। यदि इस बारे विधायक के पास कोई जानकारी है तो वह बताए सरकार इस पर कारवाई करेगी।
इस पर भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने दो बार अनुपूरक सवाल पूछे। दो बार सीएम पहले जवाब दे चुके थे और तीसरी बार जब जवाब दे रहे थे तो नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने फिर से अनुपूरक सवाल किया। वहीं भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि सरकार जानकारी छिपा रही है। वित्तीय वर्ष 2021-22 का सरकार ने लोक निर्माण विभाग और जल शक्ति विभाग का बजट रोका है। दोनों विभाग ठेकेदारों की पेमेंट नहीं दे पा रहे। इससे ठेकेदार भी अपने मजदूर को दिहाड़ी नहीं दे पा रहे।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि भाजपा में लीडरशिप का क्राइसिज पैदा हो गया है। मुख्यमंत्री पर झूठी सूचना देने का आरोप लगाना असंसदीय है। उन्होंने विपक्ष के व्यवहार की निंदा की।
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने नेता प्रतिपक्ष को कंफ्यूज्ड बताया। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार की अंतिम तिमाही का लोक निर्माण विभाग का 171 करोड़ और जल शक्ति विभाग का 143 करोड़ खर्च नहीं हो पाया। इसका मतलब यह नहीं कि खत्म हो गया। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार तिजोरी खाली करके गई। इसलिए व्यवस्था सुधारने में वक्त लग रहा है। विपक्ष को इस तरह चर्चा से नहीं भागना चाहिए।