हिमाचल सबसे ज्यादा कर्ज़ लेने वाला देश का पांचवां राज्य, हर व्यक्ति पर 1 लाख 2818 रुपये का कर्ज

शिमला, 21 सितम्बर। हिमाचल का देश में सबसे ज्यादा कर्ज लेने वाले राज्यों में पांचवां स्थान है। प्रदेश पर कर्ज का बोझ साल दर साल बढ़ता जा रहा है। प्रदेश पर कर्ज इतना ज्यादा बढ़ गया है कि हर व्यक्ति 1 लाख 2 हजार 818 रुपए के कर्ज के बोझ तले दबा हुआ है। 

मानसून सत्र के चौथे दिन गुरुवार को भोजनावकाश के बाद उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विपक्ष के जोरदार हंगामे के बीच राज्य की वित्तीय स्थिति पर श्वेत पत्र सदन के पटल पर रखा। राज्य सरकार द्वारा जारी 46 पृष्ठ के श्वेत पत्र में पूर्व भाजपा सरकार की कथित फिजूलखर्ची और वितीय कुप्रबन्धन को उजागर किया गया है। राज्य सरकार ने दावा किया है कि पूर्व सरकार के वितीय कुप्रबन्धन से प्रदेश की माली हालत खराब हुई है और कर्ज़े का बोझ बढ़ा है। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार पर चुनावों के लिए सरकारी धन के दुरूपयोग करने का भी आरोप लगाया है। 

नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने श्वेत पत्र जारी करते हुए कहा कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार को सत्ता संभालने के साथ पिछली सरकार से 92,774 करोड की देनदारियां विरासत में मिली। 31 मार्च 2023 तक प्रदेश पर कर्जे का बोझ बढकर 76,631 करोड़ तक पहुंच गया है। हर व्यक्ति पर 1 लाख 2 हजार 818 रुपए का कर्ज है। 

भोजनावकाश से पहले उप मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश की वित्तीय स्थिति को लेकर सदन में आंकड़े प्रस्तुत किए जा रहे थे। इस दौरान विपक्ष ने खूब हंगामा किया।  उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक की वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश कर्ज के भारी दवाब में हैं। रिपोर्ट पेश करते हुए उप मुख्यमंत्री ने विपक्ष पर जमकर निशाना साधा। 

उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने चुनावी वर्ष में 16261 करोड रुपए का कर्ज लिया। कर्ज की राशि को प्रदेश के विकास के लिए नहीं बल्कि चुनाव जीतने के लिए खर्च किया गया। बावजूद भाजपा चुनाव नहीं जीत पाई।  पूर्व सरकार के समय में आयोजित कार्यक्रमों अमृत महोत्सव, जनमंच, देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे होने का जिक्र उप मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट में किया व इन पर खर्च हुई राशि का ब्यौरा भी दिया। 

उन्होंने बताया कि अमृत महोत्सव समारोहों पर 7 करोड रुपए खर्च किए हैं। जबकि रैलियों के लिए इस्तेमाल के लिए हिमाचल प्रदेश पथ परिवहन  निगम की बसों को भेजा गया। जिसकी देनदारियां  8.50 करोड़ अभी भी लंबित है। इसी तरह जनमंचों पर पांच करोड़ रुपये खर्च किया गया।

उप मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व सरकार ने चुनावी वर्ष में कर्मचारियों को खुश करने के लिए बड़ी घोषणा कर दी। कर्मचारियों के लिए 10600 करोड के नए वेतनमान और भत्तों की घोषणा तो कर दी लेकिन इसके लिए न तो पैसे का प्रावधान और न ही इन देनदारियों को चुकता किया गया। इसमें से 10 हजार करोड वेतमान के जबकि 600 करोड डीए की दो किश्तों का बकाया है। 5544 करोड की अन्य देनदारी भी पूर्व सरकार ने चुकता नहीं की। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार की इन्हीं गलत नीतियों की वजह से हिमाचल कर्जाग्रस्त राज्य बन गया है।

उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल की वित्तीय स्थिति यह है कि राज्य को वर्ष 2023-24 के बजट अनुमानों के विपरीत पिछले कर्ज को चुकता करने के लिए ही 9048 करोड़ देने है। इसमें से 3486 करोड़ कर्ज की अदायगी के हैं जबकि 5262 करोड़ ब्याज के रूप में चुकता करने हैं। उन्होंने कहा कि वर्ष 2017-18 के अंत में हिमाचल पर 47906 करोड़ का कर्जा था। पूर्व सरकार ने वर्ष 2023-24 तक 12 प्रतिशत औसत बढौतरी के साथ 28784 करोड़  का पांच साल में कर्जा लिया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति पर 25 साल बाद श्वेत पत्र जारी किया गया है।

13 बोर्ड निगम घाटे में

उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन के कई उदाहरण है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 23 में से 13 बोर्ड व निगम 5 हजार करोड के घाटे में हैं।

भाजपा विधायकों ने किया हंगामा, सदन के बीचो बीच आए, 2 बजे तक कार्यवाई स्थगित

विपक्ष के हंगामे पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि क्योंकि इनकी करतूतें बाहर आ रही हैं इसलिए विपक्ष सच्चाई नहीं सुन पा रहा है।

उप मुख्यमंत्री जब रिपोर्ट पेश कर रहे थे तो सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक भी हुई। विपक्ष के सदस्य अपनी सीटों पर खड़े हो गए और नारेबाजी करते हुए सदन के बीच आ गए। विधानसभा अध्यक्ष दोनों तरफ के सदस्यों को शांत करने का प्रयास करते रहें। सदन में जब  गतिरोध नहीं थमा तो सदन की कार्रवाई को दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। 

विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया सदन में सभी सदस्यों को शांत करने का प्रयास करते रहें। उन्होंने सत्ता पक्ष व विपक्ष के सदस्यों को नसीहत देते हुए कहा कि जब अध्यक्ष अपनी सीट पर खडे हों तो सभी सदस्य बैठ जाएं, यही सदन का नियम है। यह नियम विधानसभा सदस्यों द्वारा ही बनाया गया है इसलिए इसकी पालना भी उन्हीं का कर्तव्य है।

भोजनावकाश के बाद जब सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू हुई तो उपमुख्यमंत्री ने जैसे ही श्वेत पत्र पढ़ने लगे, तो विपक्ष ने फिर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी सदस्यों के शोरशराबे के बीच उपमुख्यमंत्री ने श्वेत पत्र को सभापटल पर रखा। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि आज सदन में गैर सरकारी दिवस होने के बावजूद श्वेत पत्र को लाना सही नहीं है। इसे अन्य कार्यदिवस पर लाया जाना चाहिए था। उन्होंने आरोप लगाया कि राजनीतिक मकसद को देखते हुए सत्तापक्ष की ओर से श्वेत पत्र लाया गया है। 

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