शिमला, 02 अक्टूबर। हिमाचल प्रदेश में आई मानसूनी आपदा ने हजारों लोगों को बेघर कर दिया है। मानसूनी आपदा में 500 लोगों की जान गई है। आपदा प्रभावितों के जख्मों को मरहम लगाने के लिए सुक्खू सरकार 3500 करोड़ के विशेष आपदा राहत पैकेज का एलान कर चुकी है। राज्य सरकार ने आपदा प्रभावितों की मदद के लिए आपदा राहत कोष का भी गठन किया है। अहम बात यह है कि सूबे की आम जनता, बच्चे, स्वयंसेवी संगठन, समाजसेवी, कारोबारी, उद्यमी व राजनीतिज्ञ आगे आकर आपदा राहत कोष में दान दे चुके हैं।
एक सरकारी प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि आपदा राहत कोष-2023 में अब 200 करोड़ रुपये से अधिक का अंशदान जमा हुआ है। इस कोष का उद्देश्य बरसात के दौरान राज्य में हुई मूसलाधार बारिश और भू-स्खलन से भारी नुकसान झेलने वाले परिवारों की राहत एवं पुनर्वास कार्यों द्वारा सहायता करना है।
प्रवक्ता ने बताया कि कोविड-19 महामारी से उत्पन्न चुनौतियों के बीच भी हिमाचल प्रदेश में अंशदान के रूप में 145 करोड़ रुपये की राशि एकत्र हुई थी जबकि आपदा राहत कोष-2023 के लिए परोपकारी सहायता की राशि आशा से अधिक रही है। इस कोष के लिए लोगों द्वारा दी जा रही उदार सहायता आज भी जारी है, जिससे इस कोष में 300 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र होने की उम्मीद है।
प्रवक्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री ने स्वयं पहल करते हुए अपनी जीवन भर की जमापूंजी इस कोष में दान की है। आवश्यकता के इस समय में आपदा से पीड़ित परिवारों की सहायता के लिए उन्होंने अपनी व्यक्तिगत बचत से इस कोष में 51 लाख रुपये दान दिए। इस नेक कार्य के लिए ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को उन छोटे बच्चों से प्रेरणा मिली जिन्होंने निःस्वार्थ भाव से अपने गुल्लक दान कर दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘‘अगर बच्चे अपनी बचत दान कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं’’?
राहत एवं पुनर्वास के प्रयासों के इस होम में मुख्यमंत्री का परिवार भी सहयोग करने में शामिल हुआ। ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की माता जी संसार देवी ने भी इस नेक कार्य के लिए 50 हजार रुपये का दान दिया, जबकि उनकी बहन संजोक्ता देवी ने आपदा राहत कोष के लिए 1,11,111 रुपये का योगदान दिया।