शिमला, 04 नवंबर। विपक्षी दल भाजपा ने कर्ज़ के मुद्दे पर कांग्रेस की सुक्खू सरकार की घराबन्दी की है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राजीव बिन्दल ने कहा है कि कांग्रेस सरकार ने पिछले 10 महीने में 10,300 करोड़ रुपये का लोन लिया है। उन्होंने आरटीआई से मिली सूचना के जरिये इस बात का खुलासा किया है।
राजीव बिंदल का कहना है कि इसके अतिरिक्त भी लगभग 1000 करोड़ रुपये का लोन सरकार ने अन्य संस्थाओं द्वारा लिया है। इसका मतलब 10 महीने में 11300 करोड़ रुपये लोन लिया गया अर्थात 5 साल की सरकार में 60 हजार करोड़ रुपये का लोन लेने की तैयारी वर्तमान कांग्रेस पार्टी की सरकार ने कर ली है।
उन्होंने कहा कि ये 12000 करोड़ रुपये का लोन तो उस सूरत में होगा जब सुखविन्द्र सिंह सुक्खू की सरकार ने एक भी नया संस्थान प्रदेश में नहीं खोला तथा एक भी पुराने संस्थान को स्तरोन्नत नहीं किया।
बिंदल ने आगे कहा कि स्वास्थ्य विभाग में एक भी डाॅक्टर की भर्ती नहीं की, एक भी पैरा मैडिकल की भर्ती नहीं की। यही स्थिति शिक्षा व अन्य विभाग की हैं अर्थात एक साल में कर्मचारी रिटायर तो हुए पर नई भर्ती हुई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में विकास कार्य बंद है, केवल वही कार्य चल रहे हैं जिन कार्यों पर केन्द्र सरकार से धन की स्वीकृति व धन प्राप्त हुआ है।
उन्होंने आगे कहा कि 12 हजार करोड़ रुपये का लोन और विकास शून्य, अर्थात 5 साल में 60 हजार करोड़ का लोन लेने के बावजूद विकास शून्य है। प्रदेश सरकार की सभी व्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। कानून व्यवस्था की हालत नियंत्रण से बाहर है। प्रदेश में दिन दिहाड़े खून, बलात्कार, महिलाओं के साथ अत्याचार, दुव्र्यवहार आम बात हो गई है। नशे का प्रचलन जिस कदर बढ़ा है उसका परिणाम हमें एनआईटी हमीरपुर में देखने को मिला है। बेखौफ, बेरोकटोक खनन माफिया, स्क्रैप माफिया, दनदनाते हुए काम कर रहा है।
बिंदल ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के दौरान खोले गए 1500 से ज्यादा संस्थान बंद करने का निर्णय सरकार की जनविरोधी नीति का ज्वलंत उदाहरण है कि इस बड़े मुद्दे पर किसी भी प्रकार का जवाब जनता को नहीं दिया गया। सरकार ने मुख्य संसदीय सचिव बनाकर कानून और नियम को ताक पर रखा और सरकार की कंगाली का रोना रोते रहे। कैबिनेट रैंक के अनेक पद सृजित किए परन्तु सरकार के पास धन नहीं है, यह कहना नहीं भूले। तीन मंत्रियों के स्थान खाली है लेकिन 6 सी0पी0एस0 बना रखे हैं। ऐसी कौन सी मजबूरी है जो जनहित के बजाए केवल व्यक्तिगत हित पूरा करने में सरकार जुटी है।