शिमला, 08 दिसंबर। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एशिया का सबसे लम्बा रोप-वे प्रोजेक्ट बनेगा। शिमला शहर में 1555 करोड़ की लागत से 13.79 किलोमीटर लंबी रोपवे का निर्माण होगा। खास बात यह है कि यह विश्व का दूसरा सबसे लंबा रोपवे होगा। शिमला शहर से सटे तारादेवी से उपनगर संजौली तक बनने वाली इस रोपवे में कुल 13 स्टेशन बनेंगे। इसमें 660 केबिन होंगे और प्रत्येक कैबिन में 8 से 10 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता होगी।
उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने शुक्रवार को पत्रकार वार्ता में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि शिमला शहर में ट्रैफिक की समस्या से निजात दिलाने के लिए यह रोपवे प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
उन्होंने कहा कि यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे प्रोजेक्ट होने वाला है, जो भारत समेत कई देशों के लिए उदाहरण बनेगा।
उन्होंने कहा कि 1555 करोड रुपए का य़ह प्रोजेक्ट न्यू डेवलपमेंट बैंक एनडीबी से वित्त पोषित है। इसमें हिमाचल प्रदेश सरकार की भी हिस्सेदारी रहेगी। यह प्रोजेक्ट अब जल्द शुरू कर दिया जाएगा। इसके लिए सभी प्रकार की एनओसी और टेंडर प्रक्रिया आरंभ कर दी जाएगी। अगले अढ़ाई साल में प्रोजेक्ट का पहला चरण पूरा कर दिया जाएगा जबकि पूरा प्रोजेक्ट पांच साल में पूरा होगा।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि इस पूरे रोपवे प्रोजेक्ट में 13 स्टेशन होंगे। जिसमें रोपवे की तीन लाइने रेड ,ग्रीन, ब्लू चलेगी। रोपवे के पूरे प्रोजेक्ट में 660 केबिन चलेगी जिसमें 8 से 10 लोगों के बैठने की क्षमता होगी। 2 से 3 मिनट के भीतर स्टेशन पर लोगों के लिए कैबिन उपलब्ध हो जाएगा
उन्होंने कहा कि इस रोपवे का पहला स्टेशन तारादेवी में बनेगा। इसके बाद ज्यूडिशियल कॉम्पलेक्स, टूटीकंडी पार्किंग, न्यू आईएसबीटी टूटीकंडी, रेलवे स्टेशन, ओल्ड बस स्टैंड शिमला, लिफ्ट, सचिवालय छोटा शिमला, नव बहार, संजौली, आईजीएमसी, आइस स्केटिंग रिंक और 103 टनल के नजदीक होटल चेतन पर बनाए जाएंगे।
मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि लोगों की सुविधा के लिए रोपवे प्रोजेक्ट में किराया बस किराए के समान ही रखा जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सके।
उन्होंने बताया कि तारा देवी-शिमला रोपवे के बाद परवाणू से शिमला तक भी रोपवे का निर्माण किया जाएगा। इस पर 6600 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसकी लंबाई 38 किलोमीटर होगी और यह विश्व का सबसे लंबा रोपवे होगा।
बता दें कि इस रोपवे का सबसे बड़ा फायदा सैलानियों का होगा। दरअसल समर और विंटर सीजन के दौरान भारी संख्या में सैलानी शिमला का रूख करते हैं। ऐसे में शिमला शहर से पहले 10 किलोमीटर तक वाहनों का लंबा जाम लग जाता है। ऐसे में रोपवे के धरातल पर उतरने से सैलानियों को शहर में लगने वाले जाम से नहीं जूझना पड़ेगा।