नई दिल्ली/जयपुर, 09 दिसम्बर। राजस्थान में नई सरकार के गठन और भावी मुख्यमंत्री को लेकर पिछले पांच दिन से बीजेपी में कशमकश जारी है। अगले दो दिन नए मुख्यमंत्री के नाम पर अंतिम मुहर लग सकती है। बीजेपी आलाकमान ने केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह सहित तीन नेताओं को पर्यवेक्षक बनाया है। तीनों पर्यवेक्षक रविवार को जयपुर आएंगे। रविवार या सोमवार को बीजेपी मुख्यालय में पार्टी विधायक दल की बैठक होगी। इसी में मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान किया जाएगा। मुख्यमंत्री की दौड़ में राजस्थान के 6 नेता सबसे आगे चल रहे हैं। इनमें पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का नाम खास तौर से सामने आ रहा है। वहीं चर्चा है कि 16 दिसंबर से पहले शपथ ग्रहण पूरा कर लिया जाएगा।
साल 2003 से लेकर 2008 और 2013 से लेकर 2018 तक राजस्थान की मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे सीएम रेस में सबसे आगे चल रही हैं। वे 5 बार सांसद रह चुकी हैं और लगातार छठवीं बार विधायक बनी हैं। राजे के समर्थन में कई विधायक डटकर खड़े हैं जिनमें से कुछ ने बयान जारी कर दिए हैं कि राजे ही उनकी पहली पसंद हैं। भले ही बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व ने इस बार राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया लेकिन राजस्थान में 5 महीने बाद लोकसभा चुनाव है। ऐसे में लोकसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी कोई भी रिस्क लेने के मूड में नहीं है। राजे की नाराजगी से पार्टी को बड़ा नुकसान होना तय माना जा रहा है।
बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी भी मुख्यमंत्री के दावेदार माने जा रहे हैं। चित्तौड़गढ़ से लगातार दो बार सांसद रहे सीपी जोशी पीएम मोदी के पसंदीदा नेताओं में माने जा रहे हैं। विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी ने उन्हें प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी और प्रदेश संगठन में चल रही गुटबाजी को दूर करने की कोशिश की। जोशी के आने के बाद गुटबाजी कम हुई या नहीं, यह अलग बात है लेकिन कहीं भी अंदरुनी विवाद बाहर नहीं आया। जोशी मेवाड़ के नए चेहरे के रूप में देखे जा रहे हैं।
बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम माथुर राजस्थान के पाली जिले के रहने वाले हैं। वे पिछले कई साल के संगठन में अलग-अलग पदों पर रहकर अहम जिम्मेदारियां निभा चुके हैं। ओम माथुर वर्ष 2008 से 2009 तक पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष भी रह चुके हैं। प्रदेश बीजेपी में चल रही गुटबाजी से हमेशा दूर रहने वाले माथुर को भी भावी मुख्यमंत्री के रूप में देखा जा रहा है।
केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल बीकानेर के रहने वाले हैं। वे पहले भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रह चुके हैं। स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर वे राजनीति में आए। बीकानेर से लगातार दो बार लोकसभा सांसद बने हैं। मेघवाल को पीएम मोदी के विश्वासपात्र नेताओं में माना जा रहा है। पार्टी ने राष्ट्रपति पद के लिए दलित कार्ड खेलकर एक बड़े वोट बैंक को पार्टी के साथ जोड़ने का प्रयास किया। राजस्थान में दलित वर्ग के नेता को सीएम बनाकर पार्टी दलित कार्ड खेल सकती है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मूलरूप से झुंझुनूं के रहने वाले हैं लेकिन उनका लोकसभा क्षेत्र जोधपुर है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे। अशोक गहलोत के खिलाफ सियासी हमला बोलने में शेखावत हमेशा आगे रहे हैं। लगातार दो बार सांसद चुने जाने वाले गजेंद्र सिंह शेखावत भले ही विधायक नहीं हों लेकिन उन्होंने कई नेताओं को टिकट दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव मूलरूप से पाली जिले के रहने वाले हैं। पिछले चार पांच सालों में उन्होंने राजस्थान के कई दौरे किए हैं। ओडिशा से राज्यसभा सांसद अश्विनी वैष्णव पूर्व में आईएएस रहे हैं। वर्ष 2010 में उन्होंने नौकरी छोड़ दी और राजनीति में उतर आए। राजस्थान भाजपा में उनके नाम से कोई विवाद या गुटबाजी नहीं है। ऐसे में पार्टी उनके नाम पर भी विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री की रेस में शामिल तिजारा विधानसभा से भाजपा के नवनिर्वाचित विधायक बाबा बालकनाथ ने एक बयान जारी कर खुद को इस रेस से बाहर कर लिया है।
बालकनाथ ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट शेयर करते हुए मुख्यमंत्री पद से खुद को बाहर कर लिया है। बाबा बालकनाथ ने अपनी पोस्ट में लिखा है, ‘पार्टी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में जनता-जनार्दन ने पहली बार सांसद व विधायक बनाकर राष्ट्रसेवा का अवसर दिया है। चुनाव परिणाम आने के बाद से मीडिया व सोशल मीडिया पर चल रही चर्चाओं को नजर अंदाज करें। मुझे अभी प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में अनुभव प्राप्त करना है।’