शिमला, 11 जनवरी। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सुक्खू सरकार ने प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को तोबहाल कर दिया है लेकिन बिजली बोर्ड के हजारों कर्मचारियों को अभी तक इससे वंचित रखा गया है जिसको लेकर बिजली बोर्ड के कर्मचारियों में खासा गुस्सा है। कर्मचारियों ने गुरूवार को शिमला स्थित बिजली बोर्ड मुख्यालय कुमारहाउस के बाहर हजारों की संख्या में पहुंचकर सरकार के खिलाफ जबरदस्त धरना प्रदर्शन किया और ओपीएस की बहाली के साथ बिजली बोर्ड के प्रबंध निदेशक (एमडी) को हटाने की जोरदार मांग उठाई।
बिजली बोर्ड के वित्तीय प्रबंधन को लेकर सवाल उठाते हुए कर्मचारियों ने सरकार से प्रबंध निदेशक को बदल कर स्थायी एमडी लगाने की मांग की है।
राज्य बिजली बोर्ड के इंजीनियर और कर्मचारियों ने इसको लेकर एक संयुक्त मोर्चे का गठन भी किया है। इसी संयुक्त मोर्चा के बैनर तले हजारों बिजली बोर्ड के कर्मचारी शिमला में इक्कठे हुए।
संयुक्त मोर्चा के संयोजक इंजीनियर लोकेश ठाकुर ने कहा कि किसी भी तरह से बिजली बोर्ड कर्मचारियों की अनदेखी और उनके साथ सौतेले व्यवहार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। महारैली के बाबजूद सरकार नही जागी तो आने वाले दिनों में आंदोलन को उग्र किया जाएगा और ब्लैक आउट पर भी विचार होगा। लेकिन जनता को परेशान करना कर्मचारियों का मकसद नहीं है।
बता दें कि हिमाचल प्रदेश में बिजली बोर्ड में सबसे ज्यादा 12 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं और 29 हजार पेंशनर हैं। इस तरह बोर्ड में चालीस हजार से ज्यादा कर्मचारियों-पेंशनरों की तादाद बनती है। ऐसे में कर्मचारियों के साथ अनदेखी सुक्खू सरकार को लोक सभा चुनावों में भी भारी पड़ सकती हैं।