शिमला, 15 जनवरी। सोशल मीडिया पर अपनी पोस्टों में श्रीराम का उद्घोष करने वाले हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री विक्रतादित्य सिंह अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम लला की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देशों के बाद विक्रमादित्य सिंह ने प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इंकार कर दिया है। हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वो अयोध्या में राम लला का दर्शन व आशीर्वाद लेने अवश्य जाएंगे।
विक्रमादित्य सिंह ने सोमवार को शिमला में पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कांग्रेस हाईकमान राजनीतिक रूप से अपनी बात रख चुकी है और पार्टी के निर्देश उनके लिए मान्य हैं। हालांकि हाईकमान ने किसी भी कांग्रेसी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से मना नहीं किया है। हाईकमान का कहना है कि जो भी इस कार्यक्रम में जाना चाहता है वो स्वतंत्र है।
विक्रमादित्य सिंह ने स्पष्ट किया कि अयोध्या में राम मंदिर बनना सबस हिंदुओं के लिए गर्व का पल है और इसे सियासी नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने दोहराया कि उनकी राम में आस्था है और वह रामलला का आर्शीवाद लेने अयोध्या अवश्य जाएंगे। इसके साथ ही जगन्नाथपुरी, महाकाल, तिरूपति नाथ और द्वारिका जैसे ऐतिहासिक मंदिरों के भी दर्शन करेंगे।
विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि वो कांग्रेस के कर्मठ कार्यकता हैं और कांग्रेस की विचारधारा उनकी विचारधारा है। कांग्रेस ने देश को बांटने वाली सांप्रदायिक ताकतों का विरोध किया है और आगे भी करती रहेगी। वर्ष 1989 में रामलला के मंदिर का ताला तोड़कर मंदिर खुलाने का निर्णय लिया पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने था। हमें भाजपा व आरएएस से हिंदू होने का प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं है।
विक्रमादित्य सिंह ने आगे कहा कि हिमाचल देवभूमि है और स्नातनी व हिंदू होने के नाते हमारा दायित्व है कि हम अपनी देव संस्कृति को बचाकर व बनाकर रखें। उनके स्वर्गीय पिता व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह देश में सबसे पहले धर्मातरण का कानून हिमाचल प्रदेश में लेकर आए थे।