शिमला, 20 फरवरी। हिमाचल प्रदेश में अडानी समूह की एसीसी और अंबुजा सीमेंट कारखानों और ट्रक ऑपरेटरों के बीच चल रहा विवाद आखिरकार सुलझ गया है।
ट्रक ऑपरेटरों और अडानी समूह के प्रतिनिधियों के बीच प्रदेश सरकार द्वारा सोमवार को शिमला में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में आयोजित बैठक सफल रही और सीमेंट कंपनी ने मंगलवार से दाड़लाघाट व बरमाणा में दोनों कारखानों को खोलने का ऐलान किया। इस तरह 68 दिनों की तालाबंदी के बाद दोनों सीमेंट कारखाने खुलेंगे।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि उनके मुख्यमंत्री बनने के पांच दिन बाद ही दाड़लाघाट और बरमाणा में दोनों सीमेंट कारखानों ने संचालन बंद कर दिया था। इसके बाद सरकार ने इस मसले को गम्भीरता से लिया और दोनों पक्षों को सुना।
सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के ट्रांसपोर्टरों समेत अन्य हज़ारों लोगों की रोजी रोटी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से इन कारखानों के साथ जुड़ी है। इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार ने सार्थक कदम उठाए और अडानी समूह व ट्रांसपोर्टरों के बीच चल रहे सीमेंट ढुलाई विवाद को सुलझा लिया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कल यानी मंगलवार से दोनों कारखानों में उत्पादन शुरू हो जाएंगे।
सीमेंट की ढुलाई दरों पर उन्होंने कहा कि छह टायर वाले ट्रक की दर 10 रुपये 30 पैसे प्रति किलोमीटर प्रति क्विंटल, जबकि 12 टायर वाले ट्रक के लिए 9 रुपये 30 पैसे प्रति किलोमीटर प्रति क्विंटल दाम तय किए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सोलन और बिलासपुर के उपायुक्तों को ट्रक ऑपरेटरों के अन्य मसलों को सुलझाने के निर्देश दिए गए हैं।
इधर, सीमेंट ढुलाई विवाद थमने पर दाडलाघाट ट्रांसपोर्टर यूनियन के अध्यक्ष रामकृष्ण शर्मा ने कहा है कि राज्य सरकार की मध्यस्थता के बाद मसला सुलझा है। लेकिन उनकी सारी मांगे अभी नहीं मानी गई हैं। उनका कहना है कि ट्रांसपोर्टरों के बहुत सारे मसले अभी भी कंपनी के साथ लंबित पड़े हैं। ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि कंपनी हिमाचल व ट्रांसपोर्टर के हितों का ध्यान रख काम करेगी।
बता दें कि हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद बीते 15 दिसंबर 2022 को अडाणी समूह ने बरमाणा और दाड़लाघाट में स्थापित दोनों कारखानों में उत्पादन बंद कर दिया था। तब से सीमेंट ढुलाई करने वाले हज़ारों ट्रक सड़क किनारे खड़े हैं। दोनों कारखानों में तालाबंदी से करीब 35 हजार लोगों की रोजी रोटी प्रभावित हुई।
सीमेंट विवाद सुलझाने के लिए प्रदेश सरकार ने सर्वप्रथम सोलन और बिलासपुर के उपायुक्तों को मामला सुलझाने के निर्देश दिए थे। बाद में नागरिक आपूर्ति निगम के प्रबंध निदेशक की अध्यक्षता में एक सब कमेटी गठित की गई थी।
मालभाड़े विवाद को सुलझाने के लिए पहले जिला स्तर पर बैठकें हुई और फिर उद्योग मंत्री व अंत में मुख्यमंत्री सुक्खू ने भरसक प्रयास किए, लेकिन कई दौर की बैठकें बेनतीजा रहीं, क्योंकि दोनों पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे। ट्रक ऑपरेटरों ने 10.15 रुपए से 10.20 रुपए प्रति किलोमीटर ढुलाई की दर पर काम करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे अडानी ग्रुप ने खारिज कर दिया था। अडानी ग्रुप ने 9.06 रुपए का प्रस्ताव रखा, जिसे ट्रक ऑपरेटरों ने ठुकरा दिया।
दरअसल ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि अडाणी अपनी मनमानी कर रहा है और तय दाम से कम रेट दे रहा है जो उनको मान्य नहीं है। ट्रांसपोर्टरों के मुताबिक वैसे तो 13.20 रुपए के हिसाब से प्रति किलोमीटर रेट होना चाहिए, लेकिन सरकार की मध्यस्थता के बाद ट्रांसपोर्टर 10.70 रुपए प्रति किलोमीटर की दर पर मान गए थे लेकिन अडाणी समूह इससे भी कम 8.30 रुपए से दस रुपये देने की बात कर रहा था। अडानी समूह जहां 8 से 10 रूपये प्रति किलोमीटर प्रति टन किराया देने पर अड़ा रहा, वहीं ट्रक ऑपरेटर 10.70 रुपये किराया मांग रहे थे। आखिरकार राज्य सरकार के प्रयास कारगर हुए और कंपनी व ट्रांसपोर्टरों के बीच चल रहा विवाद खत्म हुआ।
तालाबंदी मामले में हाईकोर्ट भेज चुकी है अडानी कंपनी और सुक्खू सरकार को नोटिस
सीमेंट कारखानों में तालाबंदी का मामला प्रदेश हाईकोर्ट में भी विचाराधीन है। हाईकोर्ट ने अडानी कंपनी और सुक्खू सरकार को नोटिस जारी करके जवाब तलब किया था। प्रार्थी ने इन कंपनियों को फिर से खोलने के निर्देशों की मांग को लेकर जनहित याचिका दायर की है। मुख्य न्यायाधीश एए सैयद और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने सभी प्रतिवादियों को अगली सुनवाई तक याचिका का जवाब दायर करने के आदेश दिए। मामले में सुनवाई 03 मार्च को निर्धारित है।