देश के बाजारों में बढ़ रही हिमाचल ऊन की मांग

शिमला, 26 फरवरी । गुणवत्ता के लिहाज से विशिष्ट पहचान रखने वाली हिमाचली ऊन की मांग बाज़ारों में निरंतर बढ़ रही है। हिमाचली ऊन प्रदेश के विभिन्न भागों के साथ-साथ पश्चिमी बाजारों की आवश्यकताओं को भी पूरा कर रही है।

हिमाचल प्रदेश वूल फेडरेशन के एक प्रवक्ता ने रविवार को बताया कि राज्य में कुल 15.50 लाख किलोग्राम ऊन का उत्पादन किया जाता है, जिसके आधार पर प्रति भेड़ लगभग 1.9 किलोग्राम का उत्पादन होता है। सफेद ऊन की दर 71.50 रुपये प्रति किलोग्राम से लेकर 34.10 रुपये प्रति किलोग्राम और काली ऊन 45 रुपये प्रति किलोग्राम से 25.50 रुपये प्रति किलोग्राम है।

उन्होंने बताया कि प्रदेश वूल फेडरेशन राज्य के भेड़ पालकों को 11 रुपये से 13 रुपये प्रति भेड़ तक की रियायती दरों पर उपकरणों द्वारा भेड़ की ऊन निकालने की सुविधा भी प्रदान कर रहा है। यह सुविधा प्रशिक्षित और अनुभवी भेड़पालकों की मदद से प्रदान की जा रही है। इसके अलावा प्रदेश के निजी हितधारक भी राज्य के कुछ हिस्सों में हिमाचली ऊन के जैविक प्रमाणन और अन्य प्रमाणन जैसे आर.डब्ल्यू.एस. (रिस्पॉन्सिबल वूल स्टैंडर्ड्स) में निवेश कर रहे हैं।

चंबा जिले के होली के गांव देओल के प्रगतिशील भेड़पालक जय सिंह ने बताया कि वह वूल फेडरेशन को लगभग 900 से 1000 किलोग्राम क्रॉसब्रीड ऊन 85.80 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय करते हैं। वूलफेड की ऊन निकालने की टीमें भरमौर में उनकी भेड़ों की ऊन निकालने में मदद करती है। फेडरेशन के सहयोग से वह 800 भेड़ों के झुंड को सफलतापूर्वक पालने में सफल हुए हैं। पारम्परिक रूप से ऊन निकालने वाले लोग बहुत कम रह गए हैं और वे प्रति भेड़ 25 रुपये से 30 रुपये शुल्क लेते हैं।

कांगड़ा जिले के छोटा भंगाल के भेड़ पालक मोहिंदर ठाकुर ने बताया कि वह सर्दियों में अपने लगभग 300 भेड़ों के झुंड के साथ नालागढ़ के पास रामशहर चले जाते हैं। फेडरेशन उन्हें रामशहर के पास जंगल में भेड़ की ऊन निकालने की सुविधा प्रदान करता है और नियमित रूप से प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित करती है।

उल्लेखनीय है कि राज्य में वर्ष 2019 में की गई पशुधन गणना के अनुसार राज्य में कुल 7,91,345 भेड़ें हैं जिसमें विदेशी नस्ल की संख्या 72821 है और स्वदेशी नस्ल की 7,18,524 भेंड़ें है। गद्दी नस्ल की भेड़ चंबा, कुल्लू, कांगड़ा और मंडी जबकि रामपुर बुशहरी नस्ल किन्नौर, रामपुर और शिमला में पाई जाती है।

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