शिमला, 01 मार्च। हिमाचल प्रदेश की माली हालत को पटरी पर लाने के लिए कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने पूर्व भाजपा सरकार के एक और फैसले को पलट दिया है। सुक्खू सरकार ने अनावश्यक खर्चे कम करने के लिए एसडीएम और एडीएम की सुरक्षा में कटौती करने का निर्णय लिया है। इन पदों पर तैनात आईएएस व एचएएस अधिकारियों को अब निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) नहीं मिलेंगे। प्रदेश सरकार ने डीजीपी को सभी एसडीएम और एडीएम की सुरक्षा में तैनात पीएसओ को हटाने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री के बेड़े से भी पुलिस वाहन हटाए जाएंगे। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीआइपी मूवमेंट के दौरान अनावश्यक तौर पर उपयोग होने वाले वाहनों की संख्या घटाने का भी निर्देश दिया है। सामान्य प्रशासन और पुलिस को वाहनों की संख्या कम करने के लिए कहा गया है।
जयराम राज में एसडीएम को मिला था पीएसओ रखने का अधिकार
पूर्व की भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष एसडीएम केे साथ पीएसओ नियुक्त करने का निर्णय लिया था। लेकिन सुक्खू सरकार को पूर्व सरकार का यह फैसला रास नहीं आया है। मुख्यमंत्री के प्रधान सलाहकार नरेश चौैहान ने एसडीएम व एडीएम के निजी सुरक्षा अधिकारियों को हटाने की पुष्टि की है। उनका कहना है कि पूर्व भाजपा सरकार ने एसडीएम व एडीएम को भी पीएसओ देने का फैसला लिया था। इन अधिकारियों को पीएसओ देने का कोई औचित्य नहीं रह गया है। लिहाजा इस फैसले को बदल दिया है। राज्य सरकार वीवीआईपी सुरक्षा में कटौती करेगी।
प्रदेश में हैं 72 उपमंडल
दरअसल प्रदेश में 72 उपमंडल हैं और अधिकांश एसडीएम के पास पीएसओ हैं। सरकार का मानना है कि हिमाचल देश भर में शांत प्रदेश है और इन अधिकारियों को सुरक्षा देना तर्कसगंत नहीं है। इससे फिजूलखर्ची कम होगी और थानों में मैनपावर भी बढ़ेगी। मुख्यमंत्री सुक्खू खुद कह चुके हैं कि विधायक रहते हुए उन्होंने एक भी पीएसओ नहीं लिया था। सतापक्ष के कई विधायक राजेश धर्माणी, विनोद सुल्तानपुरी, अजय सोलंकी और मुख्य संसदीय सचिव संजय अवस्थी पीएसओ लेने से इंकार कर चुके हैं।