“पहली शिक्षक मां” के रिसोर्स पर्सन्स का प्रशिक्षण कार्यक्रम सपन्न,,एससीईआरटी प्रिसिंपल डा. हेमंत कुमार ने समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता की


शिमला। हिमाचल में प्री- प्राइमरी कक्षाओं की बच्चों की माताओं को रोचक गतिविधियों का प्रशिक्षण देने के लिए समग्र शिक्षा ने अपने रिसोर्स पर्सन्स को प्रशिक्षित कर लिया है। एग्रीकल्चरल कोऑपरेटिव स्टाफ ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट, सांगटी शिमला मंगलवार को रिसोर्स पर्सन्स के दूसरे बैच का प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हो गया। इसके साथ ही 156 रिसोर्स पर्सन्स का प्रशिक्षण पूरा हो गया है।
समापन कार्यक्रम में एससीईआरटी के प्रिसिंपल डा. हेंमत कुमार बतौर मुख्यातिथि शामिल रहे। डॉ. हेमंत कुमार ने प्रतिभागियों का आवाहन किया कि वे माताओं के साथ प्री स्कूल से संबंधित गतिविधियां करवाएं, जिससे कि इनके बच्चों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जा सके।

हिमाचल प्रदेश राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) द्वारा समग्र शिक्षा के सहयोग से आयोजित इस दो दिवसीय कार्यक्रम में छह जिलों के रिर्सोस पर्सन्स को ट्रैनिंग दी गई, ये प्रशिक्षित रिसोर्स पर्सन्स प्री-प्राइमरी स्तर के बच्चों की माताओं को विभिन्न गतिविधियों के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से ओरिएंटेशन सत्र आयोजित करेंगे। माताएं इन गतिविधियों को अपने बच्चों को कराएंगी। इस कार्यक्रम में रंजना कुमारी बतौर संयोजक, डॉ. राम गोपाल शर्मा सह संयोजक और पूर्व प्राथमिक ( प्री- प्राइमरी) के राज्य संयोजक दिलीप वर्मा, प्रथम एनजीओ के स्टेट हेड जोगिंदर शर्मा ने प्रतिभागियों को प्रशिक्षण दिया। इसमें लाहौल स्पीति, किन्नौर, मंडी, शिमला,सोलन, सिरमौर और ऊना जिलों की डाइटों के कार्यक्रम संयोजक, प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक, प्रथम एनजीओ से कुलदीप सिंह, केवल कृष्ण, अशोक शर्मा, जागृति सहित 84 प्रतिभागियों ने भाग लिया।

देश में अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है “पहली शिक्षक मां”
हिमाचल में सगग्र शिक्षा के तहत शुरू किया गया “पहली शिक्षक मां” कार्यक्रम अपनी तरह का पहला कार्यक्रम है, जिसमें प्री प्राइमरी बच्चों की 50 हजार से ज्यादा माताओं को जोड़ा गया है। इसके तहत सरकारी स्कूलों में प्री प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों की माताओं को मोबाइल फोन पर हफ्ते में दो बार मैसेज भेज कर बताया जा रहा है कि वे किस तरह से अपने बच्चों को पढ़ाई के साथ साथ अन्य व्यवहारिक बातें सीखा सकती हैं। स्कूलों में भी इन माताओं के लिए अलग से विभिन्न गतिविधियां कराई जा रही हैं।

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