शिमला, 14 मार्च। हिमाचल प्रदेश में जलविद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाने का रास्ता साफ हो गया है। इस सम्बंध में उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने मंगलवार को सदन में हिमाचल प्रदेश जलविद्युत उत्पादन पर जल उपकर विधेयक 2023 सदन में पेश किया।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार ने व्यापक सोच विचार के बाद ये कानून लाने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि हमें आय के स्रोत बढ़ाने के लिए और संसाधन जुटाने ही होंगे। इस दिशा में यह पहला कदम है। सुक्खू ने कहा कि इस कानून को लागू करवाना सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में जल उपकर से होने वाली आय कम-ज्यादा भी हो सकती है।
इससे पहले उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने विधेयक पेश करते हुए कहा कि जलविद्युत उत्पादन पर उपकर लगने से हिमाचल को हर साल लगभग 4 हजार करोड़ रुपए की आय होगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल में इस समय 172 पनबिजली परियोजनाएं चल रही हैं। इन परियोजनाओं में 10991 मेगावाट बिजली हर साल पैदा हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के आय के साधन बहुत सीमित हैं। ऐसे में मौजूदा परिस्थितियों में नए संसाधन जुटाना बहुत जरूरी हो गया है।
उन्होंने कहा कि यह कानून उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में लगाए गए जल उपकर का विस्तृत अध्ययन करने के बाद लाया गया है। इन दोनों ही राज्यों में कई लोग जल उपकर के खिलाफ अदालतों में गए, लेकिन अदालतों ने फैसला सरकार के पक्ष में सुनाया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस कानून पर काफी अधिक मेहनत की और उसके बाद ही इसे सदन में लाया गया है, ताकि इसे आसानी से लागू किया जा सके।