बीमारियों को छुपाये नहीं, खुल कर करे चर्चा, नहीं तो उठाना पड़ सकता है जान का जोखिम

भनेरा पंचायत के बगैन गांव में स्वास्थ्य जांच व जागरूकता शिविर आयोजित एचआईवी/एड्स, नशा, पोषण व मासिक धर्म स्वच्छता के बारे में किया जागरूक

शिमला। एचआईवी/एड्स जागरूकता व स्वास्थ जांच अभियान के अन्तर्गत करसोग की ग्राम पंचायत भनेरा के बगैन गांव में स्वास्थ्य विभाग की आईसीटीसी टीम करसोग द्वारा स्वास्थ्य जांच एवं जागरूकता कैंप का आयोजन किया गया। महिला मंडल प्रधान संजीवना शर्मा के सहयोग से आयोजित इस जागरूकता कैंप में महिला मंडल सहित गांव की महिलाओं को एचआईवी/एड्स सहित विभिन्न बीमारियों के प्रति जागरूक किया गया। आईसीटीसी की स्वास्थ्य काउंसलर नंदा शर्मा ने बताया कि कैंप के दौरान गांव में महिलाओं को एचआईवी/एड्स, हैपेटाइट्स-बी, हैपेटाइट्स-सी, सिफली और क्षय रोग (टीबी) के संबंध में जागरूक किया गया ताकि एचआईवी/एड्स जैसी बीमारियों से समाज को मुक्त किया जा सके। उन्होंने बताया कि इस दौरान नशीली दवाओं के दुरुपयोग, सुई साझा करना, पोषण, एनसीडी, मासिक धर्म स्वच्छता आदि के बारे में भी जानकारी प्रदान की गई।उन्होंने बताया कि जागरूकता कैंप में महिला मंडल से जुड़ी महिलाओं को गांव के आम लोगों को इन बीमारियों के प्रति जागरूक करने के लिए भी प्रेरित किया गया ताकि क्षेत्र के सभी लोगों की स्वास्थ जांच करवाई जा सके। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों के लोग विभिन्न बीमारियों के प्रति खुलकर कर, किसी से चर्चा नहीं करते है। जिसके कारण छोटी से छोटी बीमारी भी गंभीर रूप धारण कर लेती है और बाद में जान का जोखिम उठाना पड़ता है।स्वास्थ परामर्शदाता नंदा शर्मा ने बताया कि नशे के कारण युवा पीढ़ी नशे के मकड़जाल में फंस कर अपना भविष्य खराब कर रहे है जिससे जागरूकता से ही निपटा जा सकता है।उन्होंने बताया कि उचित पोषण का अभाव और विभिन्न बीमारियों के प्रति अज्ञानता भी जीवन के लिए घातक है। जिसके प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है ताकि स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सके। उन्होंने कहा कि 12 अक्टूबर, 2024 तक चलने वाले इस अभियान को राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के दिशा-निर्देशों में संचालित किया जा रहा है। आईसीटीसी परामर्शदाता व स्वास्थ्य कार्यकर्ता गांव-गांव में जाकर लोगांे को जागरूक कर रहे है।वर्षो बाद चलता है पतास्वास्थ्य परामर्शदाता नंदा शर्मा ने बताया कि एचआईवी का वायरस एक ऐसा वायरस है जिसकी चपेट में आने के पश्चात, उसका पता 10-12 साल के बाद चलता है। उन्होंने बताया कि एचआईवी एड्स जैसी बीमारी की चपेट में आने के अनेक कारण हो सकते है। उन्होंने बताया कि ऐसे लोगों का आइसीटीसी केंद्रों में निःशुल्क उपचार किया जाता है और नियमित दवाई का सेवन करने से ऐसे लोग आम व्यक्ति की तरह ही लंबा जीवन जी सकते है। उन्होंने समाज के लोगों से आग्रह किया है कि ऐसे लोगों से किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए और प्रभावित व्यक्ति को भी आमजन के समान ही जीवन जीने का पूर्ण अधिकार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *