उत्तर भारत में भूकम्प के तेज झटके, हिमाचल में घरों से बाहर निकले लोग

शिमला, 22 मार्च । उत्तर भारत में आये भूकम्प के झटके हिमाचल में भी महसूस किए गए। राज्य के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने मंगलवार रात 10:17 बजे बजे के आसपास भूकम्प के झटके महसूस किए। इससे लोग घरों से बाहर निकल आये। हालांकि इस भूकम्प से जान माल के नुकसान की सूचना नहीं है। बद्दी, नालागढ़ और नाहन समेत अन्य इलाकों में भूकम्प के झटकों से कई सेकंड तक जमीन हिली। चंडीगढ़ से सटे राज्य के सीमावर्ती इलाकों में भूकंप का असर ज्यादा देखा गया।

कांगड़ा जिला में भी भूकम्प की वजह से कम्पन हुआ। लोगों ने घरों में रखा सामान हिलते देखा। भूकम्प के इन झटकों से लोगों में ख़ौफ़ व दहशत का माहौल मच गया। भूकम्प के बाद लोगों ने रिश्तेदारों व परिजनों से फोन पर कुशलक्षेम पूछा। भूकंप के अन्य झटकों की आशंका के चलते काफी लोग देर रात तक घरों के बाहर खुले में ही डटे हुए हैं। भूकंप आने के साथ ही लोगों में हड़कंप मच गया। कई लोग सोने की तैयारी में थे तो उन्हें पलंग हिलता महसूस हुआ। इस पर वे घरों से बाहर आ गए।

इस भूकम्प के बाद अधिकांश लोगों का कहना रहा कि भूकम्प के झटके तेज़ थे और उन्होंने पहली बार कई सेकंड तक झटकों को महसूस किया। इस बारे में सोलन जिला के औद्योगिक क्षेत्र बद्दी के निवासी अजय कुमार ने बताया कि वह पलंग पर लेटे ही थे कि पलंग हिलता महसूस हुआ तब वे घर से बाहर आ गए। वहीं सिरमौर जिला के मुख्यालय नाहन के प्रकाश ने बताया कि वे दूसरी मंजिल पर रहते हैं, अचानक से बिल्डिंग हिली, तो वे परिजनों के साथ घर से बाहर आ गए। कांगड़ा निवासी मनोहर ने बताया कि उसे भी रात को भूकंप के झटके महसूस हुए।

गनीमत यह रही कि भूकम्प की वजह से राज्य में कहीं से भी जान-माल का नुकसान नहीं हुआ है।

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के निदेशक सुरेंद्र पॉल ने बताया कि हिमाचल के कुछ हिस्सों में भूकम्प के झटके लगे हैं। भूकंप की तीव्रता रियेक्टर स्केल पर 6.6 औऱ इसका केंद्र अफगानिस्तान में हिन्दू कुश क्षेत्र रहा। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार भूकम्प के कारण राज्य में जान-माल की कोई रिपोर्ट नहीं है।

बता दें कि हिमाचल प्रदेश भूकम्प की दृष्टि से बेहद संवेदनशील है। खासकर चंबा, कांगड़ा और मंडी जिलों को अति संवेदनशील ज़ोन 4 व 5 में शामिल है। वर्ष 1905 में चम्बा और कांगड़ा जिलों में आये विनाशकारी भूकंप की वजह से 10 हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे।

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