हिमाचल में भवनों और सड़कों का होगा कंस्ट्रक्शन ऑडिट

शिमला, 06 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश में भवनों और सड़कों के निर्माण पर आने वाले खर्च में बेवजह वृद्धि नहीं होगी और इनका निर्माण पहले से स्वीकृत बजट राशि में होगा। इसके लिए सरकार भवनों और सड़कों का निर्माण कार्य से पहले कंस्ट्रक्शन ऑडिट करवाएगी। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने वीरवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान यह घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते पांच सालों में अक्सर देखा गया है कि निर्माणाधीन भवनों और सड़कों की निर्माण लागत बेतहाशा वृद्धि हुई है। यह वृद्धि विभिन्न विकास योजनाओं की डीपीआर बनाए जाने के बावजूद हुई है। इसी के चलते सरकार ने सड़कों और भवनों की डीपीआर को एग्जामिन करने और इनका कंस्ट्रक्शन ऑडिट करने का निर्णय लिया ताकि प्रशासनिक स्वीकृति मिलने के बाद ऐसी विकास योजनाओं में कीमत में होने वाली कीमत को रोका जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश इस समय आर्थिक बदहाली से गुजर रहा है। उन्होंने इसके लिए पूर्व भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि उसने चुनावी वर्ष में बेहताशा संस्थान खोल दिए। उन्होंने कहा कि बेहतर होता कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर मंडी कालेज भवन का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए पर्याप्त बजट जारी करते और इसके बाद अन्य संस्थान खोलते। उन्होंने कहा कि हम मंडी कालेज भवन का निर्माण पूरा करने के लिए धीरे-धीरे धन जारी करते रहेंगे और इसे जल्द पूरा करने का प्रयास करेंगे।

इससे पूर्व, भाजपा सदस्य अनिल शर्मा के मूल प्रश्न के उत्तर में लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि मंडी कालेज भवन का निर्माण कार्य इसी साल पूरा हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस कालेज भवन के निर्माण के लिए स्ट्रक्चर में बदलाव हुआ है और इसके चलते अब इसे पूरा करने के लिए 14 करोड़ रुपए की और जरूरत है।

इसी मुद्दे पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के बाद मंडी कॉलेज में विद्यार्थियों की सबसे अधिक संख्या है। ऐसे में यहां विद्यार्थियों को जगह उपलब्ध करवाने की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि कॉलेज परिसर में ठेकेदार ने भवन के लिए स्टील का ढांचा खड़ा कर दिया है, लेकिन सरकार की ओर से पैसे जारी न होने के कारण कार्य रुका हुआ है, जिसे तुरंत आरंभ करने की जरूरत है।
विधायक अजय सोलंकी के एक सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में खुले बड़े केंद्रीय संस्थानों को दी गई जमीन की सरकार समीक्षा करेगी। यदि इन संस्थानों को जरूरत से अधिक जमीन दी गई होगी तो ऐसी जमीन पर स्थानीय लोगों को हक-हकूक बहाल होंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी केंद्रीय संस्थान को उतनी ही जमीन दी जानी चाहिए, जितनी जरूरत है। सुक्खू ने कहा कि आईआईएम सिरमौर को सरकार ने 1031 बीघा जमीन दी है।

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