शिमला, 06 अप्रैल। हिमाचल प्रदेश में भूजल स्त्रोत से हासिल होने वाले पीने योग्य पानी की बर्बादी या बेवजह इस्तेमाल करने पर अब किसी को भी जेल नहीं होगी, बल्कि भूजल का दुरूपयोग करने वालों को 10 लाख रुपये जुर्माना देना पड़ेगा। प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने वीरवार को इस संबंध में हिमाचल प्रदेश भूगर्भ जल (विकास और प्रबंधन का विनियमन और नियंत्रण) विधेयक पारित किया। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने इस विधेयक को पारित करने के लिए सदन में रखा और लंबी चर्चा के बाद सदन ने इसे ध्वनिमत से पास कर दिया।
विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए उप मुख्यमंत्री ने कहा कि यह कानून पुराना है और इसकी केवल धारा 21 में बदलाव किया जा रहा है और भूजल का दुरुपयोग करने पर अब पांच साल की कैद के बजाय सिर्फ जुर्माने का प्रावधान होगा। उन्होंने कहा कि जुर्माने की राशि अधिकतम 10 लाख रुपए होगी।
उन्होंने कहा कि कृषि और बागवानी को इस कानून में शामिल नहीं किया गया है और पेयजल अथवा सिंचाई के लिए प्रयुक्त होने वाला पानी इस कानून के दायरे में नहीं आएगा।
मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि कानून में इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य प्रदेश में औद्योगिक निवेश को आकर्षित करना है, क्योंकि कैद की सजा के प्रावधान के चलते बड़ी संख्या में उद्योगपति हिमाचल आने से कतरा रहे थे।
इससे पूर्व, विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि विधेयक को बहुत जल्दबाजी में लाया गया है और इसके नतीजे गंभीर होंगे। विधायक हंस राज ने कहा कि भूजल के दुरुपयोग पर उद्योगपतियों को दस लाख रुपये का जुर्माना कम है। उन्होंने कैद की सजा को बरकरार रखने और विधेयक को सिलेक्ट कमेटी को भेजने की सलाह दी। विधायक सुखराम चौधरी ने असिंचित क्षेत्र को इस कानून से बाहर रखने की सलाह दी। विधायक विनोद कुमार ने कहा कि जिन क्षेत्रों में पानी की कमी है, उन्हें इस अधिनियम से बाहर रखा जाना चाहिए। विधायक डॉ. जनक राज ने आर्थिक जुर्माने के साथ-साथ ट्यूबवैल लगाने के लिए नियमों के सरलीकरण का सुझाव दिया।