शिक्षा मंत्री ने विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों में लिया हिस्सा,,देव संस्कृति एवं संस्कारों का संरक्षण आवश्यक : शिक्षा मंत्री

शिक्षा मंत्री ने किया सरोट विद्यालय भवन का लोकार्पण

शिमला। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आज जुब्बल उपमंडल के विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों मे भाग लिया।
शिक्षा मंत्री ने भगोली स्थित नवनिर्मित काली माता मंदिर की प्रतिष्ठा में हिस्सा लिया तथा मंदिर में शीश नवा कर आशीर्वाद लिया।

उन्होंने कहा कि इस मंदिर का अपना एक इतिहास है और स्थानीय लोगों में इस मंदिर के प्रति एक विशेष आस्था है। स्थानीय बुज़ुर्गो ने कहा कि काली माता का मूल निवास स्थान कुपड़ की चोटी है, सैंकड़ो वर्षों पूर्व जब इस क्षेत्र में लोग क़ृषि करते थे और भेड़ बकरियां पाला करते थे, उस समय यहाँ के निवासियों की भेड़ बकरियां किसी अज्ञात बीमारी से मरने लगी ऐसे में लोगों ने देवी से सहायता मांगी थी । देवी ने लोगों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया और उनके पशुओं को बीमारी से मुक्त कर दिया। इस सहायता के बदले लोगों ने माता का मंदिर बनाया और पूजा अर्चना आरम्भ की। तब से लेकर वर्तमान समय तक यह परंपरा लगातार निभाई जा रही है। स्थानीय लोगों ने शिक्षा मंत्री का आभार जताते हुए कहा कि उनके सहयोग से यह मंदिर 2 वर्षों में बनकर तैयार हुआ है और आज इस मंदिर की प्रतिष्ठा हुई है।
शिक्षा मंत्री ने किया सरोट विद्यालय भवन का किया लोकार्पण

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने आज राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक सरोट के नवनिर्मित भवन का उद्धघाटन किया।
शिक्षा मंत्री ने कहा कि विद्यालय के भवन निर्माण पर लगभग 1 करोड़ 56 लाख रूपये की राशि व्यय की गई है। भवन का निर्माण रिकॉर्ड 1 वर्ष में पूर्ण किया गया है जो कि सरकार द्वारा गुणवत्तायुक्त शिक्षा प्रदान करने के अभियान में एक और मील का पत्थर सिद्ध होगा।
कैबिनेट मंत्री ने इसके साथ ही बढाल पंचायत के सरोट गांव में महासू देवता सरोट, काली चिता माता और नारसिंह देवता सरोट के नवनिर्मित मंदिरों की प्राण प्रतिष्ठा में हिस्सा लिया। शिक्षा मंत्री ने सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद लिया।

रोहित ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश देव भूमि के नाम से जाना जाता है और हमारी देव संस्कृति एक समृद्धि और अनूठी संस्कृति है। उन्होंने युवा पीढ़ी का आह्वान करते हुए कहा कि युवाओं को बदलते परिवेश में नई शिक्षा पद्धति को ग्रहण करें । उन्होंने कहा कि इसके साथ साथ यह भी आवश्यक है कि वे अपने संस्कारो और संस्कृति से भी नाता बनाये रखे और नशो के जाल में न फंसे जिससे कि हमारी समृद्ध संस्कृति और परम्पराए बदलते परिवेश में और अधिक समृद्ध और सशक्त बने।

मंदिर के इतिहास पर प्रकाश डालते हुए स्थानीय निवासियों ने कहा कि सरोट गाँव में महासू देवता और अन्य देवताओं की पूजा अर्चना लगभग पिछले 250 वर्षों से की जा रही है और स्थानीय लोगों की सभी देवताओं में गहन आस्था है। उन्होंने शिक्षा मंत्री का धन्यवाद करते हुए कहा कि उनके सहयोग से और देवी देवताओं के आशीर्वाद के फलस्वरूप आज यह कार्यक्रम सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ है। इस कार्यक्रम में बोठा महासू हनोल और महासू देवता सरहाना भी शरीक हुए।

इस अवसर पर जुब्बल कोटखाई मण्डल अध्यक्ष मोती लाल डेरता, पूर्व ज़िला परिषद सदस्य और पंचायत समिति सदस्य मोती लाल सिथता, प्रधान ग्राम पंचायत कुलदीप पिरटा, भंडारी महासू देवता सरोट चतर सिंह नरगेटा, वज़ीर सुरेंदर जनाटा, कारदार रमेश नरगेटा, रणवीर चौहान नरेश चौहान के अतिरिक्त एसडीएम जुब्बल गुरमीत नेगी और प्रशासन के सभी अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *