शिमला। शिमला से जारी बयान में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से कहा है कि उनकी सरकार बने 2 साल का समय पूरा हो गया है और उन्होंने प्रदेश में विकास के नाम पर अब तक 30 हजार करोड़ से ज्यादा रुपए का लोन भी ले लिया है। इसलिए वह विपक्ष को कोसने का काम बंद करें और बताएं कि इन दो सालों के दरमियान उन्होंने क्या-क्या काम किए हैं? साथ ही मुख्यमंत्री यह भी प्रदेश के लोगों से स्पष्ट कर दें कि 2017 में उनके अध्यक्ष रहते जब कांग्रेस पार्टी सत्ता से बेदखल हुई थी तो उनकी पार्टी की सरकार ने हमें विरासत के रूप में भी पैसे का कर्ज और देनदारी नहीं सौंपी थी साथ ही ‘ नो ड्यूज’ वाले कागज भी दिखा दें।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने दिल पर हाथ रख कर बोले कि क्या उनकी पार्टी द्वारा विधानसभा में दी गई एक भी गारंटी ईमानदारी से पूरी हो पाई है? क्या आज जो सरकार कर रही है, चुनाव के पहले कांग्रेस ने इसी प्रकार के गवर्नेंस का वादा किया था? जिन बड़े-बड़े मंचों से मुख्यमंत्री दुनिया भर का झूठ परोस रहे हैं उनकी बहुत प्रतिष्ठा रही है, वह मंच हिमाचल की तकदीर सजाने संवारने और हिमाचल को उत्कृष्ट बनाने के दिशा में कदम बढ़ाने के लिए जाना जाता है, लेकिन मुख्यमंत्री ने हिमाचल प्रदेश पूर्ण राजत्व दिवस के अवसर और मंच को भी अपने झूठ बोलने का स्थान बना दिया। क्या प्रदेश के लोगों ने सिर्फ विपक्ष को कोसने के लिए कांग्रेस को इतना बड़ा जनादेश दिया था?
जयराम ठाकुर ने कहा कि पिछली सरकार ने लोगों को सुविधाएं दी थी। बिना किसी गारंटी के हमारी सरकार ने वृद्धावस्था पेंशन की आयु सीमा घटाकर 80 से 60 वर्ष की। जिसके कारण प्रदेश की 2 लाख 75 और महिलाओं को वृद्धा पेंशन मिली। इसके साथ ही पेंशन की राशि में भी 2 गुना तक बढ़ोतरी की और आय की सीमा भी खत्म की। हमारे पूर्व की सरकार का सामाजिक सुरक्षा बजट 436 करोड रुपए उसे बढ़ाकर हमारी सरकार ने 1300 करोड रुपए किया। 70 वर्ष या उससे अधिक आयु की लोगों के लिए वृद्धा पेंशन को ₹700 से बढ़ाकर 1700 रुपए किया। विधवा और दिव्यांगजनों की पेंशन की राशि ₹700 से बढ़कर 1150 रुपए प्रतिमाह की। 70% से अधिक दिव्यांग जनों की पेंशन 1250 रुपए से बढ़कर 1750 रुपए की। लाखों लोगों को गरिमा पूर्ण जीवन देने के लिए हमारी सरकार ने यह कदम उठाए। एक सरकार के रूप में हमने यह कोई एहसान नहीं किया यह हमारा फर्ज था जो हमने अपने प्रदेश के लोगों के लिए किया। प्रदेश के लोगों को बिजली का बिल न देना पड़े इसके लिए हमने 125 यूनिट फ्री बिजली का प्रावधान रखा। इससे लोग कम बिजली खर्च करने को प्रेरित हुए। जिससे बची हुई बिजली सरकार महंगे दामों पर बेचे। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी का बिल जो बहुत कम होता था उसे माफ किया, महिलाओं के लिए बसों के किराए में पचास प्रतिशत की छूट दी। यह कदम महिलाओं की सशक्तिकरण के लिए उठाया गया था शायद मुख्यमंत्री और उनकी टीम इस छूट में निहित सरकार की मंशा को भले न समझे लेकिन इसका लाभ प्रदेश को हुआ। भारतीय जनता पार्टी ने इनमें से किसी भी काम के लिए प्रदेश के लोगों की कोई गारंटी नहीं दी थी। सरकार का काम जनहित है उसके लिए सरकार को सदैव प्रयास करना चाहिए और एक मुख्यमंत्री के रूप में मैंने यह प्रयास किए। कोरोना जैसी आपदा के बाद भी एक भी कर्मचारी के एक दिन का वेतन हमारी सरकार ने नहीं काटा। हमारी सरकार ‘सबका साथ–सबका विकास’ के ध्येय के साथ काम किया। सहारा, शगुन, ग्रहणी सुविधा, हिम केयर जैसी न जाने कितनी योजनाएं दी जिसकी मदद से गरीब आदमी गरिमा पूर्ण जीवन जी सके। वर्तमान सरकार ने ज्यादातर योजनाओं को या तो बंद कर दिया है या उनका बजट रोक दिया है और वह योजनाएं तथा स्वतः मृतप्राय हो गई हैं।