शिमला. हिमाचल प्रदेश में किसानों के जमीनों पर अधिग्रहण हटाने के खिलाफ किसान सभा ने विरोध जताया है. किसान सभा की ओर से इसको लेकर प्रदेश भर में तहसीलों के स्तर पर धरना प्रदर्शन किए गए और सरकार को ज्ञापन सौंपे गए. किसान सभा की मांग है कि प्रदेश में जिन किसानों के पास न्यूनतम 5 बीघा जमीन नहीं है ऐसे किसानों के कब्जे न हटाए जाएं. इसके अलावा किसान सभा ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में किसानों की जमीन की डीमार्केशन भी सही तरीके से नहीं की जा रही है. साथ की किसान सभा ने मांग की है कि प्रदेश में किसानों को न्यूनतम 5 बीघा जमीन उपलब्ध कराई जाए और 2013 का वन अधिग्रहण कानून की शर्तों को लागू किया जाए.
हिमाचल प्रदेश किसान सभा के कमेटी सदस्य जयशिव ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर में आज किसान सभा की ओर से तहसील के स्तर पर धरना प्रदर्शन किए गए हैं. उन्होंने कहा की प्रदेश भर में किसानों से जुड़े विभिन्न मुद्दों को लेकर यह प्रदर्शन किए गए. उन्होंने कहा कि जिन गरीब किसानों ने अपने खेतों के आसपास बहुत कम जमीन का अधिग्रहण किया है आज उनका कब्जा हटाया जा रहा है. किसान सभा इसका विरोध करती है. उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर किसानों के पास न्यूनतम 5 बीघा जमीन भी नहीं है. ऐसे में यह कब्जे नहीं हटाए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि किसानों की जमीन की डीमार्केशन भी सही तरीके से नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में भूमि आजीविका का साधन है. ऐसे में प्रदेश में किसानों को कृषि योग्य पांच बीघा न्यूनतम जमीन उपलब्ध कराई जानी चाहिए. इसके अलावा जयशिव ठाकुर ने 2013 के वन अधिग्रहण नियम को भी प्रदेश में लागू करने की मांग की है. जय शिव ठाकुर ने कहा कि पहले भी इन मांगों को लेकर किसानों ने एक बड़ा आंदोलन किया और तत्कालीन वीरभद्र सरकार में एक संकल्प प्रस्ताव भी पारित किया गया. लेकिन पूर्व की जयराम सरकार और वर्तमान सरकार के कार्यकाल में इस पर आगे कोई काम नहीं हुआ. उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसानों के विभिन्न मुद्दों को किसानों के साथ बैठकर बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए.