शिमला। नेशनल हेल्थ मिशन में महिला आउटसोर्स कर्मचारियों की प्रतिनिधि आज स्वास्थ्य विभाग के MD से मिलने शिमला पहुंची. नेशनल हेल्थ मिशन में आउटसोर्स पर काम कर रही इन 125 महिला कर्मियों का कहना है कि पिछले 10 साल में सरकार ने न तो उनके लिए कोई नीति बनाई गई और न ही वेतन पर नियमित इंक्रीमेंट दिया गया. आउटसोर्श कर्मियों का कहना है कि साल 2015 से अब तक केवल 1 हज़ार 480 रुपए का इजाफा उनके वेतन में हुआ है. कान का बोझ अधिक है और वेतन कम. ऐसे में अब NHM आउटसोर्स कर्मियों की सरकार से मांग है कि कर्मचारियों को नियमित इंक्रीमेंट दिया जाए और उनके वेतन में इजाफा किया जाए. NHM आउटसोर्स कर्मियों ने मांग न मानने पर सरकार के खिलाफ कानूनी रास्ता अपनाने और हड़ताल पर बैठने की चेतावनी दी है.
नेशनल हेल्थ मिशन में आउटसोर्स कर्मियों का कहना है कि साल 2015 में उन्हें नेशनल हेल्थ मिशन में नियुक्ति मिली थी. 10 साल गुजर गए हैं लेकिन न तो कर्मचारियों के लिए कोई नीति बनाई गई है, न ही वेतन बढ़ाया गया है. आउटसोर्स कर्मियों का कहना है कि 2015 में उन्हें 12 हज़ार 460 रुपए का वेतन मिलता था. बीते 10 सालों में केवल 1 हज़ार 460 रुपए की बढ़ोतरी उनके वेतन में हुई है. कर्मचारियों का कहना है कि बढ़ती हुई महंगाई के बीच पिछले 10 सालों में उनका वेतन 1500 भी नहीं बढ़ पाया है. कर्मचारियों ने कई बार विभाग के MD और मुख्यमंत्री से मुलाकात भी की. लेकिन विभाग ने इन कर्मचारियों के लिए कोई भी नीति बनाए जाने की बात से साफ इनकार कर दिया. वहीं दूसरी तरफ वेतन भी नहीं बढ़ाया गया है. अब ऐसे में कर्मचारियों की मांग है कि सरकार कम से कम कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों के तर्ज पर उन्हें सैलरी पर नियमित रूप से इंक्रीमेंट दे. इसको लेकर आज वह विभाग के MD से मिलने भी पहुंचे. कर्मचारियों का कहना है कि अगर सरकार उनकी बात नहीं सुनती है तो उन्हें कानून का रास्ता लेना पड़ेगा. या हड़ताल के जरिए सरकार तक अपनी बात पहचानी पड़ेगी.