शिमला। ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह तथा तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने भाजपा नेताओं पर करारा प्रहार करते हुए कहा कि भाजपा प्रदेश की जनता को गुमराह करने के लिए प्रतिदिन तथ्यहीन बयानबाज़ी कर रही है। उन्होंने भाजपा विधायक बिक्रम ठाकुर के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री इस विषय पर पहले ही विधानसभा में स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं और संबंधित दस्तावेज विधानसभा के पटल पर प्रस्तुत कर चुके है।
उन्होंने कहा कि विपक्ष के आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। विपक्ष झूठ को कितनी भी बार दोहरा ले, वह सच नहीं बनता।
दोनों ने कहा कि गुजरात की लकाडिया सौर ऊर्जा परियोजना की तुलना में ऊना जिले की पेखुबेला सौर ऊर्जा परियोजना हर मानक पर बेहतर है। उन्होंने बताया कि लकाडिया में 35 मेगावाट की सौर परियोजना जून 2022 में 215.79 करोड़ रुपये में अवार्ड की गई थी, जबकि पहले इसका अनुमानित खर्च 140 करोड़ रुपये तय किया गया था और निर्माण अवधि 30 महीने की रखी गई थी। अभी भी इस परियोजना का निर्माण कार्य जारी है। इस परियोजना की डीसी क्षमता 38.05 मेगावाट है।
इसके विपरीत, पेखुबेला की 32 मेगावाट क्षमता की परियोजना अत्याधुनिक तकनीक से तैयार की गई है और इसकी डीसी क्षमता 45.05 मेगावाट है, जो लकाडिया के मुक़ाबले कहीं अधिक है। पेखुबेला परियोजना मई 2023 में 220 करोड़ रुपये में अवार्ड की गई और रिकॉर्ड छः महीने में इसका निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया।
मंत्रियों ने कहा कि पेखुबेला परियोजना में 8 वर्षों का संचालन एवं रखरखाव अनुबंध परियोजना लागत में ही शामिल है, जबकि लकाडिया परियोजना में यह अवधि केवल 5 वर्ष है। इसके अतिरिक्त, पेखुबेला में सालाना 20.66 लाख यूनिट बिजली उत्पादन की गारंटी है, जबकि लकाडिया में यह आंकड़ा 20.14 लाख यूनिट है। अगर उत्पादन कम होता है, तो पेखुबेला में कंपनी से प्रति यूनिट 3.71 रुपये की दर से पेनल्टी वसूली जाएगी, जबकि लकाडिया परियोजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
उन्होंने कहा कि पेखुबेला परियोजना में डेवलपर से 10 प्रतिशत बैंक गारंटी ली गई है, जबकि लकाडिया में केवल 5 प्रतिशत। साथ ही, पेखुबेला में 132 केवी की ट्रांसमिशन निकासी प्रणाली स्थापित की गई है, जबकि लकाडिया में यह क्षमता मात्र 66 केवी है। इन सभी तथ्यों से यह स्पष्ट है कि पेखुबेला परियोजना तकनीकी, आर्थिक और प्रबंधन के सभी स्तरों पर बेहतर है। उन्होंने कहा कि जब से कांग्रेस के विधायकों की संख्या फिर से 40 हुई है, भाजपा बेचौन हो गई है और निराधार आरोपों के ज़रिए राज्य सरकार को बदनाम करने की साज़िश कर रही है।