Karsog. करसोग उपमंडल की प्रसिद्ध ग्राम पंचायत माहूनाग, जोकि अपने ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के लिए जानी जाती है, अब एक और नई पहचान के साथ उभर कर सामने आई है। यहां महाभारत कालीन वीर योद्धा कर्ण के रूप में पूजनीय देवता माहूनाग के पावन स्थल पर एक भव्य मनरेगा पार्क का निर्माण किया गया है, जो श्रद्धालुओं, पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए आकर्षण का नया केंद्र बनता जा रहा है।
इस सुंदर पार्क का निर्माण ग्राम पंचायत सवा माहू द्वारा महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के अंतर्गत किया गया है। इस परियोजना पर लगभग 7 लाख रुपए की लागत आई है। यह पार्क केवल एक साधारण मनोरंजन स्थल नहीं, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक, धार्मिक और प्राकृतिक धरोहर को संजोने और प्रदर्शित करने का एक सशक्त माध्यम बन गया है।
पार्क के केंद्र में एक आकर्षक तालाब का निर्माण किया गया है, जिसकी परिधि के चारों ओर सुंदर पौधे और हरियाली इसे एक मनमोहक रूप देती है। तालाब न केवल इसकी शोभा को बढ़ाता है, बल्कि इसका शांत जल वातावरण में एक आध्यात्मिक सुकून भी जोड़ता है। इसके चारों ओर बैठने के लिए आरामदायक बेंचें लगाई गई हैं, जिससे आगंतुक यहां घंटों बैठकर प्रकृति की गोद में समय व्यतीत कर सकते हैं। बच्चों के लिए विशेष रूप से झूले और खेल सामग्री लगाई गई है, जिससे यह स्थान पारिवारिक पिकनिक और सामुदायिक मेलजोल के लिए आदर्श बन गया है।
पार्क में एक विशेष “आई लव माहूनाग” सेल्फी प्वाइंट भी बनाया गया है, जहां पर्यटक और श्रद्धालु अपनी इस यात्रा की यादों को कैमरे में कैद कर सकते हैं। यह प्वाइंट न केवल युवाओं के बीच लोकप्रिय हो रहा है, बल्कि सोशल मीडिया पर भी माहूनाग की सुंदरता को प्रचारित करने में मददगार साबित हो रहा है।
हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश के धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित करने की दिशा में जो प्रयास किए जा रहे हैं, यह पार्क उसी श्रृंखला की एक महत्वपूर्ण कड़ी है। सरकार की यह पहल न केवल पर्यटन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास, स्थानीय रोजगार सृजन और सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण की दिशा में भी सराहनीय कदम है।
ग्राम पंचायत सवा माहू के प्रधान अम्मी चंद का कहना है कि “यह स्थान देवता माहूनाग का प्राचीन और ऐतिहासिक स्थल है। यहां देश भर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और यह स्थान आस्था व विश्वास का प्रतीक है। देवता माहूनाग के आशीर्वाद से यहां पर सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूर्ण होती है। ऐसे में इस स्थान पर सुविधाएं जुटाना हम सबकी जिम्मेदारी है।”
उन्होंने यह भी बताया कि राज्य सरकार और स्थानीय पंचायत के सामूहिक प्रयासों से इस भव्य पार्क का निर्माण संभव हो पाया है। यह पार्क मनरेगा योजना की सफलता का सशक्त उदाहरण है और यह दिखाता है कि यदि योजनाओं को सही दिशा में कार्यान्वित किया जाए, तो गांवों की तस्वीर बदली जा सकती है।
यह पार्क न केवल धार्मिक पर्यटकों को आकर्षित करेगा, बल्कि सामान्य सैलानियों के लिए भी एक रमणीय स्थल बन कर उभरेगा। यहां का शांत वातावरण, प्राकृतिक सौंदर्य, और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत यात्रियों को शहरों की भागदौड़ से दूर आत्मिक शांति प्रदान करेगी। साथ ही, स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प और पारंपरिक खानपान को बढ़ावा देने के लिए भी यह स्थल उपयुक्त बन सकता है।
यह प्रयास न केवल क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करेगा, बल्कि स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध कराएगा। आने वाले समय में माहूनाग क्षेत्र पर्यटन मानचित्र पर एक विशिष्ट स्थान प्राप्त करेगा, जिसमें यह मनरेगा पार्क एक मजबूत आधारशिला सिद्ध होगा।