नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज कहा कि वन अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वन हमारे फेफड़े हैं। यदि किसी देश के वन अच्छी स्थिति में हैं तो उसके लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा क्योंकि वन हमारे फेफड़े हैं। कृषि हमारी जीवन रेखा है। लेकिन हमें वनों की आवश्यकता है क्योंकि वे जलवायु को नियंत्रित करते हैं, आपदाओं को कम करते हैं और विशेष रूप से गरीबों एवं वंचित वर्ग के लोगों के लिए आजीविका का समर्थन करते हैं।
उन्होंने कहा कि पर्यावरण जीवन का वह पहलू है जो पृथ्वी पर रहने वाले हर जीव को प्रभावित करता है। जब पर्यावरण को चुनौती दी जाती है तो यह चुनौती सिर्फ़ मानवता के लिए नहीं होती अपितु यह इस धरती पर उपस्थित हर किसी को प्रभावित करती है। आज, हम पर्यावरण की रक्षा और संरक्षण के साथ-साथ सामने आ रहे गंभीर संकट से निपटने के तरीके खोजने के लिए एक महत्वपूर्ण परीक्षा का सामना कर रहे हैं।
स्थायी भविष्य के निर्माण में शिक्षा की भूमिका पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज, कोई भी संस्थान एक स्वतंत्र इकाई के रूप में कार्य नहीं कर सकता। एक समय था जब चिकित्सा शिक्षा, अभियांत्रिकी शिक्षा, प्रबंधन शिक्षा, पर्यावरण शिक्षा और वन शिक्षा सभी अलग-अलग थे लेकिन अब, सब कुछ अंतःविषय बन गया है और इसलिए, हमें सीखने के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
संस्थान की प्राकृतिक संरचना की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि पश्चिमी घाट की गोद में बसा सिरसी, न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में सबसे समृद्ध जैव विविधता वाले क्षेत्रों में से एक है। ऐसा वातावरण कक्षा की अवधारणा को ही बदल देता है। यहां, कक्षा चार दीवारों तक सीमित नहीं है, यह उनसे आगे तक फैली हुई है। यह एक खुली कक्षा है, जो जीवन से भरपूर है। सौभाग्य से और अनोखे रूप से, वानिकी महाविद्यालय अपने सबसे प्राचीन रूप में प्रकृति से घिरा हुआ है। यहां का दृश्य वास्तव में अत्यंत मनोरम है; यहां का वातावरण मन को आनंद और उत्सव से भर देता है।
इस अवसर पर कर्नाटक के राज्यपाल थावर चंद गहलोत, कर्नाटक विधान परिषद के अध्यक्ष बसवराज एस. होरत्ती, उत्तरा कन्नड़ के जिला प्रभारी मंत्री मनकल एस. वैद्य, संसद सदस्य विश्वेश्वर हेगड़े कागेरी, कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय, धारवाड़ के कुलपति डॉ. पी.एल.पाटिल और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।