नई दिल्ली, 24 मई। जलवायु परिवर्तन के चलते तापमान तेजी से बढ़ रहा है। बीते कुछ दिनों में देश के कई हिस्सों में पारा 46 डिग्री से अधिक जा चुका है। जिसने कृषि, अन्य क्षेत्रों सहित आम लोगों के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है। कई वैज्ञानिक रिपोर्ट इस बात की तसदीक करती है कि पृथ्वी का औसत तापमान लगातार बढ़ रहा है। मौसम में बदलाव और गर्मी बढ़ने से हीट वेव की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है। हीट वेव बढ़ने से आने वाले दिनों में हालात और मुश्किल हो सकते हैं। 1970 के दशक के उत्तरार्ध से पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ रहा है। शर्मा और मजूमदार की 1970 की रिपोर्ट में सामने आया था कि हीट वेव की वजह से सूखा और हीट वेव की फ्रीक्वेंसी में लगातार बढ़ोतरी हुई है। इसके अनुसार 1951 में जहां कोई भी क्षेत्र प्रभावित नहीं था वहीं, 2010 तक आते-आते चार फीसद क्षेत्र इससे प्रभावित हो गया। लोकसभा में सरकार द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार 1961-70 में हीट वेव के दिन 74 थे जो 1991-2000 में यह बढ़कर 98 हो गए।
इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंड और कनाडा की संस्था इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर की ओर से दिल्ली और राजकोट के शहरों के लिए हीटवेव दिनों की संख्या में वृद्धि का विश्लेषण किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में दिल्ली में 49 दिनों तक हीट वेव दर्ज की गई जो 2019 में बढ़ कर 66 दिनों तक पहुंच गई जो एक साल में लगभग 35% की वृद्धि को दर्शाता है। वहीं 2001 से 10 के आंकड़ों पर नजर डालें तो हीट वेव के दिनों में 51% की वृद्धि दर्ज हुई। वहीं राजकोट की बात करें तो 2001-10 के बीच कुल 39 दिन हीट वेव दर्ज की गई। वहीं ये संख्या 2011 से 21 के बीच बढ़ कर 66 दिनों तक पहुंच गई।
इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंड के डिप्टी डायरेक्टर रोहित मगोत्रा के मुताबिक 21वीं सदी में हीट वेव की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ने की संभावना है। हाल ही में आई 6 वीं आईपीसीसी रिपोर्ट में पृथ्वी की सतह के 2.0 डिग्री फ़ारेनहाइट (1.1 डिग्री सेल्सियस) के आसपास गर्म होने पर चेतावनी दी गई है। इससे भविष्य में वैश्विक औसत तापमान और हीटवेव में वृद्धि होगी।
नानजिंग और येल विश्वविद्यालयों के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन किया है, जिसमें उन्होंने 2002 से 2021 के बीच भारत सहित दुनिया के दो हजार से ज्यादा शहरों में सतह के औसत तापमान में आते बदलावों का उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों की मदद से विश्लेषण किया है। शहरों में सतह का तापमान 0.5 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में यह दर 0.38 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक है। दिन और रात में सतह के तापमान में आते बदलावों को देखें तो जहां दिन में शहरी सतह का तापमान 0.56 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक की दर से बढ़ रहा है वहीं गांवो में यह आंकड़ा 0.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। इसी तरह रात में सतह के तापमान में होती वृद्धि को देखें तो शहरी सतह का तापमान 0.43 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक है जबकि गांवों में यह 0.37 डिग्री सेल्सियस प्रति दशक दर्ज किया गया है। जो लोग शहरों में रहते हैं वो हीटवेव के दौरान कहीं ज्यादा गर्मी के जोखिम का सामना करते हैं। ऐसा “अर्बन हीट आइलैंड” के प्रभावों के कारण होता है। शहरों में गगनचुंबी इमारतें और हर तरफ पसरा कंक्रीट सूर्य से आते विकिरण को सोख लेता है जिसकी वजह से सतह कहीं ज्यादा तेजी से गर्म होने लगती है।