सेब बागीचों की कटाई पर बोले मंत्री जगत सिंह नेगी, कोर्ट के आदेश पर हो रही कार्रवाई

 

शिमला। ऊपरी शिमला में वन भूमि पर अतिक्रमण कर उगाए गए सेब और अन्य फलों के बागीचों को काटने की कार्रवाई पर सियासत तेज हो गई है। इस मामले में सेब उत्पादक संघ के सवालों पर राजस्व और बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने स्पष्ट बयान दिया है। उन्होंने कहा कि जो लोग हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें कानूनी पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए। यह फैसला जनवरी में आ चुका था। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने आज हाईकोर्ट में एक आवेदन दायर कर कुछ समय तक पेड़ों की कटाई पर राहत की मांग की थी, लेकिन अदालत ने यह अर्जी खारिज कर दी। एफआरए (वन अधिकार कानून) और अतिक्रमण के कानून अलग-अलग हैं। एफआरए कानून 2008 से लागू है, लेकिन बहुत से लोग अपना दावा समय पर पेश नहीं कर सके। ऐसे में सरकार की तरफ से कोई विरोधाभास नहीं है।उन्होंने बताया कि चैथला गांव के 32 लोगों का मामला पहले डीएफओ, फिर एसडीएम और डिविजनल कमिश्नर से होता हुआ हाईकोर्ट पहुंचा, जहां से आदेश जारी किए गए हैं।

विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर द्वारा राहत और पुनर्वास कार्यों में देरी के आरोपों पर नेगी ने तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में राजनीति करना सही नहीं है। नेता प्रतिपक्ष एक मुंह से कहते हैं कि सरकार काम कर रही है और दूसरे से कहते हैं कि कुछ नहीं हो रहा। नेगी ने बताया कि सराज क्षेत्र में 50 से अधिक मशीनें काम में लगी हैं। लगातार बारिश के कारण कुछ आंतरिक सड़कों को खोलने में समय लग रहा है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में मुख्यमंत्री, डिप्टी सीएम, लोक निर्माण मंत्री और तकनीकी शिक्षा मंत्री स्वयं दौरे कर चुके हैं। मुख्यमंत्री की घोषणा का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि जिन लोगों के घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुए हैं उन्हें 7 लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा, जबकि केंद्र सरकार केवल 1.5 लाख रुपये दे रही है। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि गुजरात के बड़ोदरा में पुल हादसे में मृतकों को पीएम मोदी ने 2-2 लाख रुपये दिए थे, हिमाचल में 98 मौतें हुईं, फिर भी विशेष राहत नहीं दी गई। वन भूमि से जमीन देने का अधिकार भी केंद्र सरकार के पास है। नेगी ने कहा कि आपदा में राज्य को भारी नुकसान हुआ है। कई जगह सड़कें बंद हैं और अन्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं, लेकिन सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।

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