शिमला। हिमाचल प्रदेश विधानसभा काउंसिल चैंबर ने आज अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए। इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि यह चैंबर लोकतंत्र के इतिहास का जीवंत साक्षी है और यहां लिए गए फैसलों ने भारत की राजनीति और समाज को नई दिशा दी है। ब्रिटिश काल से लेकर वर्तमान तक कई ऐतिहासिक घटनाओं का यह काउंसिल चैंबर साक्षी है।
20 अगस्त 1925 को भवन बनकर तैयार हुआ था, जबकि इसका निर्माण कार्य 1920 में शुरू हुआ था। उस दौर में भारत सरकार अधिनियम 1919 के तहत ब्रिटिश इंडिया गवर्नमेंट का गठन हुआ, जिसमें 145 सदस्य होते थे। इनमें से 104 चुने हुए और शेष नामांकित सदस्य थे। उस समय विधानसभा का ग्रीष्मकालीन सत्र शिमला में आयोजित किया जाता था।इस भवन में पहली बार विठ्ठल भाई पटेल भारतीय अध्यक्ष (तत्कालीन प्रेसिडेंट) चुने गए थे।महिलाओं को मताधिकार देने का प्रस्ताव भी इसी सदन में पारित हुआ।विधान सभा अध्यक्ष पठानिया ने कहा कि आज जिस स्पीकर की कुर्सी पर वे बैठते हैं, उस पर पहले ब्रिटिश शासन के दौरान क्राउन का प्रतीक होता था, जबकि आजादी के बाद वहां अशोक स्तंभ का राष्ट्रीय प्रतीक लगाया गया। यह भवन केवल पत्थरों का ढांचा नहीं, बल्कि भारतीय लोकतंत्र की यात्रा का अहम हिस्सा है। “यहां से लोकतांत्रिक मूल्यों को स्थापित किया गया, जिनसे समाज को नई दिशा मिली।
विधानसभा की कार्यप्रणाली पर बोलते हुए अध्यक्ष ने बताया कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा का सत्र अन्य राज्यों की तुलना में अधिक समय तक चलता है जहां देश के बड़े राज्यों में विधानसभा 15–20 दिन भी नहीं चलती है।अध्यक्ष ने सत्ता और विपक्ष दोनों से अपेक्षा जताई कि वे गंभीरता और शालीनता के साथ चर्चा करें।