शिमला। सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने आज शिमला में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “सहकार से समृद्धि” का मूल मंत्र ही वर्ष 2047 तक विकसित भारत का आधार बनेगा। उन्होंने कहा कि देश के अन्नदाता किसानों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाने का रास्ता सहकारी क्षेत्र के विकास और विस्तार से होकर जाता है।
गुर्जर ने यहां हिमाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री और राज्य के अधिकारियों के साथ सहकारी क्षेत्र की विस्तृत समीक्षा बैठक की। बैठक में किसानों, बागवानों और सहकारी संस्थाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।
उन्होंने कहा कि हिमाचल “देश का फल कटोरा” कहलाता है और यहां के मेहनती लोगों की अलग पहचान है। सहकारिता के माध्यम से बागवानों और किसानों को मजबूत बनाना केंद्र और राज्य, दोनों सरकारों की प्राथमिकता है। मंत्री ने बताया कि केंद्र सरकार की तीन प्रमुख सहकारी संस्थाओं—एनसीसीएफ, एनसीडीसी और बीबीएमएस—की योजनाओं पर भी विस्तार से विचार किया गया है। इसके अलावा नई सहकारिता यूनिवर्सिटी से जुड़े कोर्स हिमाचल में शुरू करने पर भी चर्चा हुई, ताकि युवाओं को प्रशिक्षण और रोजगार के अवसर मिल सकें।
कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि सहकारी क्षेत्र को योग्यता और प्रशिक्षण की आवश्यकता है और इसके लिए संस्थागत ढांचा खड़ा करना जरूरी है। उन्होंने आश्वासन दिया कि केंद्र सरकार गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में हिमाचल की सहकारिता से जुड़ी समस्याओं का समयबद्ध समाधान करेगी।
उन्होंने सहकारी बैंकों की कमजोर वित्तीय स्थिति पर भी चिंता जताई और कहा कि केंद्र और राज्य मिलकर इन्हें मजबूत करने का रास्ता निकालेंगे। वहीं, हिमाचल के बागवानों के लिए कोल्ड स्टोरेज और सीए स्टोर की जरूरत पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि चूंकि यह प्रदेश फलों का कटोरा है, इसलिए यहां भंडारण की विशेष योजनाएँ लागू करने पर केंद्र गंभीरता से विचार करेगा।
गुर्जर ने साफ कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों का साझा लक्ष्य किसान की समृद्धि है और इस दिशा में कोई रुकावट नहीं आने दी जाएगी।
इस समीक्षा बैठक में प्रदेश के उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी शामिल हुए जिन्होंने प्रदेश में सहकारिता के क्षेत्र में किया जा रहे कार्यों को केंद्रीय मंत्री के समक्ष रखा । उपमुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में 21 लाख से अधिक लोग सहकारिता के क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करते हैं और 1600 से अधिक कृषि सहकारी समूह को आर्थिक सहायता दी जा रहीं है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री से आग्रह किया है कि सहकारिता के क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश को पूर्ण केंद्रीय सहयोग मिलना चाहिए साथ ही पहाड़ी राज्य होने के नाते अलग से बजट आवंटन की प्राथमिकता मिलनी चाहिए । उप मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में सहकारिता से जुड़ी सभी योजना को प्रभावित तरीके से कार्यान्वित किया जा रहा है .