नई दिल्ली। 2 अक्टूबर को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती भारत सहित पूरे विश्व में अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन न केवल भारत के लिए राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, बल्कि वैश्विक स्तर पर शांति, करुणा और सत्याग्रह के सिद्धांतों को सम्मान देने का अवसर भी है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2007 में इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया था। तब से हर वर्ष यह दिन 140 से अधिक देशों द्वारा शांति, सहिष्णुता और मानवीय मूल्यों की पुनः पुष्टि के रूप में मनाया जाता है।
राजघाट से संयुक्त राष्ट्र तक श्रद्धांजलि
भारत में राजघाट पर गांधीजी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है, वहीं संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में कार्यक्रमों, व्याख्यानों और सांस्कृतिक आयोजनों के माध्यम से गांधीजी की विचारधारा को वैश्विक संदर्भों से जोड़ा जाता है। सितंबर 2022 में आयोजित पांचवें अहिंसा व्याख्यान में महात्मा गांधी का होलोग्राम प्रस्तुत किया गया था, जिसने परंपरा और तकनीक के अद्भुत संगम से उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध किया।
गांधी से प्रेरित सरकारी योजनाएं
गांधीजी के दर्शन को आधुनिक भारत की नीतियों में भी झलक मिलती है।
स्वच्छ भारत मिशन,
स्वामित्व योजना,
खादी एवं ग्रामोद्योग को बढ़ावा,
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा)
जैसे कई राष्ट्रीय कार्यक्रम गांधीजी के विचारों पर आधारित हैं।
गांधी जयंती 2019 को भारत को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया गया था। खादी उद्योग में पिछले 11 वर्षों में रोजगार और उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है।
वैश्विक स्तर पर गांधी का प्रभाव
दक्षिण अफ्रीका से लेकर अमेरिका और यूरोप तक, गांधीजी की प्रतिमाएं और स्मारक स्थापित हैं। ब्रुसेल्स, वाशिंगटन डी.सी., मैड्रिड, न्यू बेलग्रेड, हेग जैसे शहरों में विशेष आयोजन होते हैं।
G20 शिखर सम्मेलन 2023 के दौरान सभी विश्व नेताओं ने नई दिल्ली स्थित राजघाट पहुंचकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीजी को “शांति, सेवा, करुणा और अहिंसा का प्रकाश स्तंभ” बताया।
गांधीजी की प्रासंगिकता आज भी जीवित
आज जब दुनिया आतंकवाद, युद्ध, आर्थिक असमानता, जलवायु परिवर्तन और महामारी जैसी चुनौतियों का सामना कर रही है, गांधीजी की अहिंसा और सत्य की विचारधारा पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गई है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी गांधीजी के विचारों को सतत विकास के 2030 एजेंडा का मार्गदर्शक बताया।
विशेष रेल डिब्बा: गांधीजी की यात्राओं की स्मृति
11 सितंबर 2024 को राजघाट स्थित गांधी दर्शन में एक विशेष रेल डिब्बे का उद्घाटन किया गया, जिसमें गांधीजी की ऐतिहासिक यात्राओं और उनके संदेशों को चित्रों व सामग्रियों के माध्यम से प्रदर्शित किया गया। यह डिब्बा गांधीजी की उस सोच को जीवंत करता है, जिसमें रेल केवल परिवहन नहीं बल्कि भारत को समझने और जोड़ने का माध्यम था।